Friday, November 25, 2011

किस दशा का है इन्तजार ?-बुध

चंद्र तनय बुध अत्यंत चपल, तीव्र बुद्धि के स्वामी और वैश्यवृत्ति को देने वाले हैं। हमारे सूर्य के सबसे नजदीक बुध खगोल जगत में अति विशिष्ट हैं। यह आंतरिक ग्रह कहलाते हैं क्योंकि इनकी कक्षा-पृथ्वी की कक्षा और सूर्य के बीच में थी। यह दो राशियों के स्वामी हैं - मिथुन और कन्या। मिथुन राशि का रहने का स्थान शयनकक्ष बताया गया है जबकि कन्या राशि के रहने का स्थान अन्न और जल के स्थान माने गये हैं। बुध ग्रह कन्या राशि में उच्च के होते हैं और कन्या राशि में 15 अंश पर परमोच्च स्थिति में होते हैं। मिथुन और कन्या राशि को मनुष्य जाति में गिना जाता है। मिथुन राशि उभयोदय है तथा कन्या राशि शीर्षोदय है। उभयोदय का अर्थ यह है कि राशि शुरु और अंत दोनो में ही सक्रिय रहती है। बुध ग्रह स्वयं भी उत्तरायण और दक्षिणायन दोनों अयनों में समान रूप से रहते हैं। मिथुन और कन्या दोनों ही द्विस्वभाव राशियां हैं और समय के अनुसार अपना रुख बदल सकती हैं। मिथुन की दिशा पश्चिम है तो कन्या की दक्षिण अर्थात् कन्या राशि बलवान होगी तो व्यक्ति दक्षिण दिशा में जाएगा या लाभ होगा।
बुद्धि ग्रह होने के कारण यह पांडित्य देते हैं। कला निपुणता, विद्वानों द्वारा स्थापित बुद्धि, मामा, चतुराई, धार्मिक कार्य, सत्य और असत्य का निर्वहन, आमोद-प्रमोद की जगह, शिल्पशास्त्र, मित्र व युवा व्यक्ति बुध के विषय होते हैं। यह सुबह और शाम जब देखते हैं तो अत्यंत चमकीले दिखते हैं। जिस ग्रह के साथ इनके योग बनते हैं तो वह योग इनके कार्यकौशल को बढ़ा देते हैं।
बुध का रंग हरा है। इनकी कांति नई धूप की तरह है। कफ-पित्त, वात सभी बुध के विषय हैं। स्नायु मंडल पर बुध का अधिकार है। इनका अंग सौष्ठव बहुत सुन्दर है। बुध हंसी-मजाक पसंद करते हैं और किसी भी बात में हास का मौका नहीं छोड़ते। शरीर की त्वचा पर बुध का अधिकार है। बुध पीडि़त होंगे तो त्वचा पीडि़त होगी या त्वचा संबंधी कोई दोष होंगे। बुध जन्मकुण्डली में अच्छे होंगे तो सौम्य होंगे व कांतिमान होंगे। बुध का नेत्रों पर भी असर है और बुध से प्रभावित व्यक्ति की आंखें लंबाई लिए हुए होंगी या व्यक्ति की आंखों में प्रबल आकर्षण होगा। बुध को हरे वस्त्र पसंद हैं और भोजन में शाकाहार को प्रमुखता देते हैं। बुध किसी भी बात को अत्यंत शीघ्र समझ लेते हैं और उसे स्मृति में रखते हैं। प्रत्युत्पन्न मति बुध की विशेषता है। बुध कवियों को आशु कवि बना देते हैं।
बुध बलवान हों तो व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में लाभ कमा सकते हैं। बुध जिस ग्रह के साथ योग बनायेंगे, उस ग्रह के कार्य-कौशल को बढ़ा देंगे। बुध विष्णु मंदिर के अधिपति हैं या जहां विद्वान लोग बैठते हों या जहां मनोरंजन होते हैं तथा जहां ज्योतिषी विराजमान हों। बुध की स्वयं की दिशा उत्तर है या वे उत्तर दिशा में दिग्बली होते हैं। बुध से कुछ और विषयों पर विचार किया जा सकता है जैसे- ग्वाला, विद्वान, शिल्पी, गणितज्ञ, गरुड़, चातक, तोता, बिल्ली आदि। सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र बताए हैं। मंगल, बृहस्पति और शनि समभाव रखते हैं और चंद्रमा बुध के शत्रु हैं।
यूनानी मिथकों में सूर्य और बुध के बीच में भी एक अन्य ग्रह की चर्चा व दावे बहुत वर्षों तक चलते रहे। ऐसी चर्चा 19वीं शताब्दी में भी खूब चली परंतु अभी तक उपलब्ध ज्ञान के आधार पर बुध, सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह हैं और इनके केन्द्र लौह तत्वों पर आधारित हैं।
बुध करीब 20-25 दिन एक राशि में रहते हैं। इनकी जाति शूद्र बताई गई है और यह राजसी गुणों के युक्त हैं। कुछ विद्वान बुध को वैश्य भी मानते हैं। अगर संतान गोद ली जाए तो यह मानकर चलिए कि बुध की उसमें भूमिका है। बुध में पृथ्वी तत्व अधिक है। बुध अगर पाप ग्रह के साथ में हैं तो पाप फल देंगे, बुध शुभ ग्रह के प्रभाव में हैं तो शुभ परिणाम देंगे। बुध को नपुंसक माना गया है। बुध के अधिष्ठाता देव विष्णु हैं। मूंग की दाल, मगध प्रदेश और पन्ना बुध के विषय हैं। धातुओं में सीसा तथा हरे वस्त्र बुध के विषय हैं और इनका स्वास्थ्य मिला-जुला रहता है अर्थात् छ: रसों से मिश्रित या सम्मिलित प्रभाव बुध में देखे जाते हैं। शरीर का दाहिना भाग बुध से संबंधित है और अगर बुध के कारण चिन्ह मिलें तो वह बगल में मिलते हैं। जिन वृक्षों पर पत्ते बहुत हों, उन पर बुध का आधिपत्य होता है। बिना फल के वृक्ष भी बुध के विषय हैं।
बुध शुभ ग्रहों के साथ हों तो अत्यंत शुभ फल प्रदान करते हैं, पाप ग्रहों के साथ हों तो पाप फल देते हैं। कई बार बुध उत्प्रेरक का काम करते हैं और फलों में कई गुना वृद्धि कर देते हैं।
सूर्य के साथ यदि बुध योग बनाते हैं उसमें व्यक्ति गणितज्ञ, कार्य कुशल होता है वैज्ञानिक, इंजीनियर या ज्योतिषी बनता है। यदि बुध, चंद्रमा के साथ मिलें तो व्यक्ति को डॉक्टर, वैद्य या रसायनों और जड़ी-बूटियों का काम करने वाला बना देते हैं। फार्मास्युटिकल लाईन भी चंद्रमा व बुध के सहयोग से ही मिलती है। चंद्रमा या बुध एक-दूसरे से युति करें, एक-दूसरे पर दृष्टिपात करें या एक-दूसरे की राशियों में बैठें या नक्षत्रों में बैठें तो व्यक्ति के डॉक्टर बनने के योग बलवान हो जाते हैं। मंगल-बुध के साथ मिलते हैं तो न्यायकारी कार्य में ले जाते हैं। न्यायाधीश बनें या वकील या कंपनियों के क्रद्गश्चह्म्द्गह्यद्गठ्ठह्लड्डह्लद्ब1द्ग जो कंपनियों के तर्क प्रस्तुत करते हैं, मंगल व बुध के परस्पर मिलने का ही परिणाम है। वकालत के कार्य में व्यवसाय कौशल बुध से ही आता है। मंगल, बुध युति वाले अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते हैं। बुध यदि बृहस्पति के साथ मिल जाएं या युति करें तो व्यक्ति वेदों के कार्यों में, धार्मिक कार्यों में, आध्यात्म कार्यों में या वित्त संबंधी कार्यों में कुशल होता है। बैंक, वित्तीय प्रबंधन, कर्म-काण्ड या अन्वेषण कार्य बुध और बृहस्पति के सम्मिलित परिणाम हैं। शनि और बुध युति करें तो शरीर का तंत्रिका तंत्र, आशा-निराशा तथा शरीर में संधि स्थलों पर गहरा असर देखने को मिलता है। न्यूरोलॉजी से संबंधित रोग होते हैं। यदि शनि और बुध बलवान हों या युति करते हों तो न्यूरोलॉजी का डॉक्टर या दवाइयां बनाने वाले होते हैं। शनि महादशा की बुध अन्तर्दशा में या बुध महादशा की शनि अन्तर्दशा में यदि दुर्घटना हो तो निश्चित रूप से शरीर की संधियों पर असर आता है।
कहीं-कहीं यह कथन है कि बुध को अस्त होने का दोष नहीं लगता पर व्यवहार में ऐसा देखने में नहीं आता। बुध, सूर्य से जितने नजदीक होंगे उतना ही सुंदर बुधादित्य योग होगा। तब बुध के व्यक्तिगत गुणों में कमी आ जाएगी परंतु बुधादित्य योग बहुत सुंदर फल देगा। बुध अस्त होने पर प्राय: एलर्जी, जुकाम-नजला इत्यादि, त्वचा के रोग देखने को मिलते हैं। शरीर की कांति पर असर पड़ता है। स्ह्वठ्ठड्ढह्वह्म्ठ्ठ और स्ह्वठ्ठह्यह्लह्म्शद्मद्ग बुध के कारण होते हैं। अगर बुध अच्छे हैं तो व्यक्ति कवि, गायक कलाकार या चित्रकार इत्यादि बन सकता है। सबसे गहरा असर वाणी पर आता है। यदि बुध पाप प्रभाव में हों तो व्यक्ति कर्कश या खराब बोलने वाले होते हैं। यदि बुध अच्छे हों और उन पर शुभ प्रभाव हो तो व्यक्ति मधुरभाषी और संगीत में उत्तम होता है। तुरंत जवाब देना या रेडियो, टी.वी. पर काम करने वाले कलाकार या कॉलसेन्टर पर कार्य करने वालों पर भी बुध की कृपा बहुत जरूरी है।
उपाय करने वाले जितने भी लोग हंै अगर उनके बुध बलवान हैं तो वे पैसा कमा सकते हैं। उदाहरण के लिए - चंद्रमा तो औषधिया हैं और बुध वैद्य या डॉक्टर हैं। अगर चंद्रमा बलवान होंगे तो औषधियां अच्छी प्राप्त होंगी। बुध बलवान होंगे तो डॉक्टर अच्छा मिलेगा। यदि दोनों बलवान हुए तो औषधियां और डॉक्टर अच्छे मिलेंगे। ऐसे व्यक्ति को हमेशा अच्छा और समय पर इलाज मिलता है। यदि किसी की जन्मकुण्डली में चंद्रमा और बुध एक साथ बैठे हों या एक-दूसरे को देख रहे हों तो वह अच्छा डॉक्टर बन सकता है। यदि बुध, चंद्रमा के नक्षत्र में या चंद्रमा, बुध के नक्षत्र में हों तो वह अच्छी दवाईयां दे सकता है। अगर डॉक्टर नहीं बना तो वह जड़ी बूंटिया बाँटेगा। यह भी हो सकता है कि अच्छा ज्योतिषी बन जाए और उसके बताए गए उपाय सफल हो जाएं। स्शद्यह्वह्लद्बशठ्ठ देने वाले सभी वर्ग चंद्रमा और बुध से प्रभावित हैं। चंद्रमा श्रेष्ठ कल्पनाएं देते हैं और बुध प्रखर बुद्धि। दोनों मिलने के बाद गलती नहीं करते। जो लोग बहुत आगे तक की सोचते हैं उन्हें बुध के साथ चंद्रमा का सहयोग मिलना जरूरी है।

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