Friday, November 25, 2011

नीच ग्रहों का फल -2

पिछले अंक में हमने सूर्य और चंद्रमा के अलग-अलग राशि में नीचस्थ होने के प्रभाव को जाना। अब अन्य ग्रहों के नीचस्थ स्थित होने के प्रभाव का विश्लेषण करेंगे :
विभिन्न राशियों में नीचस्थ मंगल का प्रभाव :
1. लग्न में नीचस्थ मंगल व्यक्ति के कामुक स्वभाव की ओर इशारा करते हैं। यदि मंगल नीच नवांश में हों तो व्यक्ति को रात में देखने में दिक्कतें पैदा करते हंै अन्यथा इस स्थिति में मंगल योगकारक हैं व व्यक्ति को पद प्राप्ति, यश और सम्पन्नता देते हंै।
2. द्वितीय भाव में नीचस्थ मंगल व्यक्ति को गरीबी देते हंै। नीच नवांश में होने पर कर्जदार बनाते हंै। यहां पर अशुभ मंगल शिक्षा में रुकावट डालते हैं और आंख का कष्ट देते हैं।
3. तृतीय भाव मंगल व्यक्ति को कामातुर प्रवृत्ति की ओर प्रेरित करते हैं। तीसरे भाव के नवांश में व्यक्ति चिकित्सों, वैद्यों एवं सेवकों से मित्रवत होता है। व्यक्ति को छोटे भाई-बहिन का अभाव होता है।
4. चतुर्थ भाव में नीचस्थ मंगल व्यक्ति को प्राय: सुखी नहीं रखते हैं तथा इस भाव के नीच नवांश में व्यक्ति दूसरों की देखभाल, पोषण करके सुख पाता है, माँ को कष्ट होता है।
5. पंचम भाव में नीचस्थ मंगल व्यक्ति के पुत्रों को दूसरी स्त्रियों की ओर आकर्षित करते हैं, नीचस्थ नवांश में व्यक्ति को अल्प आयु, पुत्र की प्राप्ति हो सकती है। यदि पुत्र जीवित रहें तो कष्ट दें।
6. षष्ठ भाव में नीचस्थ मंगल व्यक्ति की मित्रता निम्न जाति (शूद्र) के लोगों से होती है, नीच नवांशगत मंगल इस भाव में होने पर व्यक्ति की कृषि कार्य में संलग्न व्यक्तियों से कटु संबंध रहते हैं।
7. सप्तम भाव में नीचस्थ मंगल होने से व्यक्ति की पत्नी बहुत जिद्दी व बोलने में कटु होती है। नीच नवांश में होने से उसकी पत्नी के कई शत्रु होते हैं।
8. अष्टम भाव में नीचस्थ मंगल मनुष्य की मृत्यु अपने ही हाथों होती है, नीच नवांश में आत्महत्या के प्रयास भी संभावना बढ़ जाते हैं। पिता की जल्दी मृत्यु, आंख की समस्या, पेशाब संबंधित रोग होते हैं।
9. नवम भाव का नीचस्थ मंगल व्यक्ति को धर्मप्रियता का विरोधी एवं बंधन आदि दर्शित करते हैं। नीच नवांश में व्यक्ति दूसरे की स्त्री को हथाने को ही धर्म मानते हैं, पिता सुख कम, विवाह के बाद स्थिरता आती है।
10. दशम भाव में नीचस्थ मंगल दूसरे की स्त्री के संपर्क से जीविकापार्जन करते हैं। नीचस्थ नवांश होने से व्यक्ति वैश्या कर्म (अथवा नीच कर्म) से जीविकापार्जन करते हैं, बड़े भाई की उम्र कम होती है।
11. एकादश भाव के नीचस्थ मंगल व्यक्ति को चोरी से लाभ देते हैं, नीचस्थ नवांश में मंगल होने से वह धोखेबाजी व ठगी से लाभ कमाने मेें चतुर होते हैं।
12. द्वादश भाव के नीचस्थ मंगल व्यक्ति का धन नीच लोगों की मित्रता में अपव्यय होते हंै, नीचस्थ नवांश का व्यक्ति अनेक बुरे कामों में धन का नाश करते हैं। व्यक्ति गठिया, अल्सर जैसी बीमारी से पीडि़त होता है।
विभिन्न राशियों में नीचस्थ बुध का प्रभाव :
1. प्रथम भाव में नीचस्थ बुध के व्यक्ति के मुख से दुर्गन्ध आती है तथा यदि नीच नवांश हो तो मनुष्य का मुख कुरुप तथा जीभ मोटी और चौड़ी होती है। व्यक्ति अस्वस्थ रहे व भूत-पिशाच की पूजा करें।
2. द्वितीय भाव में नीचस्थ बुध के व्यक्ति निकृष्ट कार्यों से धन कमाता है। यदि नीच नवांश में हो तो धन प्राप्ति शत्रु पक्ष से अथवा छोटे-मोटे रोजगार से जीविका कमाते हैं, व्यक्ति की शिक्षा अधूरी रहती है।
3. तृतीय भाव के नीचस्थ बुध के व्यक्ति की मित्रता पापकर्मियों से होते हंै। इस भाव के बुध नवांश मनुष्य की मित्रता गाय, भैंस आदि को पालने वालों से होती है।
4. चतुर्थ भाव के नीचस्थ बुध के व्यक्ति को कलह उपरान्त सुख देते हंै परंतु नीच नवांश में बुध का व्यक्ति दूसरे की सेवा करे सुख पाते हंै।
5. पंचम भाव में नीचस्थ बुध के व्यक्ति के पुत्र काफी कष्ट पाते हैं परंतु नीच नवांश में होने से उसके पुत्र दृष्ट स्वभाव एवं दूषित कार्यों में संलग्न होते हैं, संतान कष्ट में रहती है।
6. छठे भाव के नीचस्थ बुध व्यक्ति की शत्रुता, कुरूप एवं नेत्रहीन मनुष्यों से होती है। इस भाव में नीच के नवांश, आलसी और रोगग्रस्त तथा विकलांग लोगों को शत्रु बनाते हैं।
7. सप्तम भाव के नीचस्थ बुध व्यक्ति की पत्नी के पर पुरुष से संबंध होते हैं। इस भाव के नीच बुध नवांश उसकी पत्नी को बुरी आदतें त्रस्त करती है। व्यक्ति का वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है।
8. अष्टम भाव के नीचस्थ बुध व्यक्ति की मृत्यु, घाव संक्रमण के होने के कारण होती है। यदि बुध नीच नवांश में हैं तो व्यक्ति भय से मृत्यु प्राप्त करता है।
9. नवम भाव के नीचस्थ बुध व्यक्ति को कपटपूर्ण धर्मपालन की और तत्पर होते हैं। इस भाव के नीचस्थ नवांश व्यक्ति को जादू-टोना की ओर पे्ररित करते हैं।
10. दशम भाव के बुध व्यक्ति को स्वरोजगार दिलाते हैं जबकि नीचस्थ नवांश परदेश से जीविकोपार्जन करवाते हैं।
11. एकादश भाव में नीचस्थ बुध व्यक्ति को आर्थिक लाभ, नीच लोगों की संगत से प्राप्त होते हैं जबकि बुध नीचस्थ नवांश में होने से नकली, बनावटी काम करके धन अर्जन करते हैं।
12. द्वादश भाव के नीचस्थ बुध में व्यक्ति अपना धन शेयर निवेश अथवा ब्याज आदि पर व्यय करते हैं। इस भाव के नवांश का व्यक्ति अपना धन निम्न संगत के लोगों में बर्बाद करते हैं। व्यक्ति की शिक्षा कम होती है तथा व्यक्ति बीमार रहता है।

1 comment:

  1. santosh pusadkar

    आप ने जो बताया सही है. आप को धन्यवाद करता हू.शुक्र की महादशा १३ ऑक्ट २००९ सुरु हो गायी है.कन्या लग्न कुंडली है. केतू दिव्तीय मै , शनी तृतीय ,गुरु पंचम बुध शुक्र.चंद्र सप्तम मै , रवी राहू अष्टम मै. मंगल नअवं मै है कोनसा रतन पाहणा पडेगा . कृपया मागदर्शन करे.

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