Tuesday, February 1, 2011

ग्रहों के केन्दीय प्रभाव















मेदिनी ज्योतिष, अर्थात् राष्ट्र के बारे में बताई जाने वाली भविष्यवाणियों से संबंधित ज्योतिष ग्रहों के केन्द्रीय प्रभाव को लेकर चर्चा करती है। जो ग्रह परस्पर केन्द्र में होकर व्यक्तिगत मामलों में लाभदायक सिद्ध होते हैं, वे ही ग्रह मेदिनी ज्योतिष में एक-दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हुए पाए जाते हैं। व्यक्ति की और राष्ट्र की जन्मपत्रिका से संबंधित फलित ज्योतिष यह एक विशेष बात है।
यदि दो ग्रह एक-दूसरे से 45 अंश पर हों या 135 अंश पर हों तो अशुभ फल देते हैं। यदि दो ग्रह एक-दूसरे से 60 अंश पर हों या 120 अंश पर हों तो शुभ प्रभाव देते हैं। जो ग्रह एक-दूसरे से 90 या 180 अंश पर हों तो वह अशुभ फल देते हैं। दो ग्रह जब एक-दूसरे से 150 अंश पर हों तो इसको षडाष्टक योग कहते हैं और यह ग्रह अशुभ फल देते हैं। यदि दो ग्रह एकदम इन्हीं अंशों पर एक-दूसरे से युति करें तो तीव्र फल देते हैं।
इन दिनों भारत की कुण्डली में कई ग्रह एक-दूसरे से केन्द्रीय प्रभाव में हैं। इनमें राहु और केतु अक्ष मिथुन और धनु राशि पर है और दूसरे अक्ष पर कन्या में शनि और मीन में बृहस्पति हैं। फरवरी के महीने में राहु के साथ शुक्र धनु राशि में काफी दिनों तक रहेंगे, काफी दिनों तक शनि वक्री रहेंगे अर्थात् 13 जून तक तथा उसके बाद बृहस्पति वक्री रहेंगे 30 अगस्त से 25 दिसम्बर तक, अर्थात् कम से कम तीन ग्रह कई महीनों तक एक-दूसरे से केन्द्रीय प्रभाव में रहेंगे और यही वह बात है जो राष्ट्र के घटनाक्रम को प्रभावित कर रही है।
हर्षल कुछ महीनों तक बृहस्पति के साथ युति कर रहे हैं और यह आकस्मिकता के स्वामी हैं और शनि वक्री होते हुए बृहस्पति व हर्षल या यूरेनस के साथ अशुभ दृष्टि संबंध कर रहे हैं जो कि देश को आकस्मिक और चमत्कारिक घटनाएं देते हैं। यह ग्रह एक तरफ ज्योतिष जैसे शास्त्र को बढ़ावा देते हैं तथा दूसरी तरफ अचानक घटनाएं, हड़ताल, पार्लियामेंट में हंगामा या लाल चौक में झंडा फहराने जैसी घटनाएं देते हैं। महंगाई का विस्फोट सरकार रोक ही नहीं पा रही है। हर्षल-गुरु युति 14 वर्ष में एक बार होती है और राजकीय अहंकार के विरुद्ध लोग उठ खड़े होते हैं और सरकार को भयंकर प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। हर्षल और शनि का अशुभ दृष्टि संयोग भी अत्याचारों या लूट-खसोट से संबंधित है। नवम्बर 2010 में बृहस्पति और नेपच्यून दोनों कुंभ में वक्री थे और उनसे अगली राशि मीन में हर्षल वक्री थे जब 2जी स्पैक्ट्रम और महंगाई को लेकर देश में हंगामा मचा हुआ था। नेपच्यून जब वक्री होते हैं तो राजसत्ता के विरुद्ध वातावरण बनता है। ठीक इसी समय शुक्र भी वक्री चल रहे थे जो कि टेलीकॉम सेक्टर के स्वामी हैं। हमने पिछले अंक में भी लिखा था कि जब-जब गुरु और श्ुाक्र एक साथ वक्री होंगे, दूरसंचार विभाग से संबंधित घोटाले सामने आएंगे।
जून 2011 में शनि, प्लूटो और हर्षल एक-दूसरे से केन्द्र में होंगे और जनता में भारी असंतोष उत्पन्न करेंगे। इसी समय नेपच्यून भी कुंभ राशि में वक्री चल रहे होंगे। अत: इसको सरकार के लिए अशुभ समय माना जा सकता है और जनता सरकार से भारी नाराज रहेगी और राजनैतिक धु्रवीकरण शुरू हो जाएगा। अगस्त में पुन: प्लूटो, नेपच्यून, हर्षल और बुध वक्री चल रहे होंगे और कई ग्रह एक-दूसरे से केन्द्रीय प्रभाव में होने के कारण सरकार का व्यवस्थाओं पर से नियंत्रण कम हो जाएगा और अराजकता बढ़ेगी। यह केन्द्रीय प्रभाव निम्न हैं-
1. 4 अगस्त 2011 को चन्द्र, शनि, हर्षल, प्लूटो व मंगल दूसरी तरफ राहु, केतु, नेपच्यून और बुध।
2. 8सितम्बर को सूर्य, शुक्र, बुध व नेपच्यून तथा राहु व केतु। इसी दिन शनि व वक्री हर्षल तथा वक्री प्लूटो व मंगल।
3. अक्टूबर में भी बृहस्पति, हर्षल व नेपच्यून वक्री रहेंगे तथा इनके साथ ही राहु-केतु सदा ही वक्री रहते हैं। नेपच्यून 9 नवम्बर तक वक्री रहेंगे, जब वे मार्गी होंगे थोड़े दिन बाद ही बुध वक्री हो जाएंगे यह विशेष स्थिति है जब कई सारे ग्रह वक्री रहकर राष्ट्र को प्रभावित करेंगे।
4. 2011 के अंत में मंगल और नेपच्यून एक-दूसरे से केन्द्रीय प्रभाव में होंगे जो अपराध की संख्या बढ़ाते हैं और बड़ी संख्या में अपराधी गिरफ्तार किए जाते हैं। इसी समय सूर्य, बुध, राहु और केतु एक-दूसरे से केन्द्र में होने के कारण और इन सभी से केन्द्र में होने के कारण राजसत्ता में लोगों का विश्वास कम होने लगता है और राजनैतिक धु्रवीकरण तेजी से बढ़ता है।
वक्री ग्रहों का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है और देशकाल परिस्थितियों पर बहुत व्यापक प्रभाव डालता है। इस पूरे वर्ष शनि और नेपच्यून का एक-दूसरे से षडष्टक होना भी कम नहीं है। 2011 के अंत में नवंबर मास में शनिदेव कन्या से तुला में जाएंगे तब तक, एक-दूसरे से 6, 8होंगे और पूरे देश की राजनीति में भूचाल लाकर रखेंगे, अपने निर्णायक कदम तब उठाएंगे। जब शनिदेव 15 नवंबर को तुला राशि में आएंगे और नेपच्यून से त्रिकोण में स्थित होकर अपना व्यापक प्रभाव छोड़ेंगे। उस समय भी कई ग्रह एक-दूसरे से त्रिकोण के प्रभाव में होंगे और अशुभ परिणाम देंगे। मंगल और शनि का अशुभ योग झगड़े, रोग, बहुत खर्च और कर्ज कराता है।
इस समय व्यक्ति आपराधिक मामलों में फंसेंगे, गिरफ्तार होंगे। मंगल से नेपच्यून का संबंध राजनीतिक बदले की भावना को दर्शाता है इसलिए 2011 का अंतिम त्रैमास कुछ अशुभ घटनाओं को लेकर आएगा। शनि और नेपच्यून का परस्पर सहयोग या एक-दूसरे से त्रिकोण में होना स्त्रियों जातकों के प्रति अपराध में वृद्धि कराता है। इससे राजसत्ता के प्रति विपरीत भावनाएं बनती हैं और शासन के प्रति लोगों को सोचने के लिए मजबूर करती हैं। नेपच्यून वर्षपर्यन्त कुंभ राशि में रहेंगे जो कि भारत की वृषभ लग्र से दशम भाव में हैं।
दशम भाव के नेपच्यून से व्यक्तिगत जन्मपत्रिका में स्वतंत्रता, अनुसंधान, बुद्धिमानी, राजा से कष्ट और पत्रकार, उपन्यासकार, इंजीनियर, डॉक्टर, टैलीपैथी, दूरदृष्टि, स्वप्नदृष्टा इत्यादि जैसे विषय देखे जाते हैं परंतु आगे चलकर व्यक्ति का पतन भी करा देता है। नेपच्यून प्रारंभ में सुख देता है अंत में दु:ख देता है। राष्ट्र के मामले में नेपच्यून व्यवस्था के प्रतिकूल होता है और अराजकता फैलाता है। नेपच्यून का कार्य अव्यवस्था फैलानें में ज्यादा है। पृथ्वी से 17 गुना भारी नेपच्यून की खोज 1846में की गई थी और इनके बहुत सारे चंद्रमा हैं। 165 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करने वाले नेपच्यून एक राशि का आधा भाग 6-7 वर्षों में पूरा करते हैं अत: महत्वपूर्ण असर डालते हैं।
कुंभ में नेपच्यून 2009 में फरवरी मास में आए हैं और 2022 की अप्रैल तक रुकेंगे अत: इस देश की राजनीति तंत्र पर व्यापक प्रभाव डालने वाले हैं और सारी प्रणालियों को बदलने वाले हैं। चाहे जजों की संपत्तियां घोषित करने का मामला हो या राजनेताओं की संपत्ति का मामला हो, या स्विट्जरलैण्ड से धन वापस मंगाने का मामला हो या बड़े-बड़े घोटालो का मामला हो। भारत की जन्मपत्रिका में नेपच्यून भारी प्रभाव डालने वाले हैं।
इस वर्ष मीन राशि पर गर्मियों में कई ग्रहों का प्रभाव होने के कारण संसद में भारी हंगााम होने के आसार हैं। भारत की कुण्डली में मीन राशि एकादश भाव में स्थित है जो कि पार्लियामेंट के संबंधित है पर कोई आश्चर्य नहीं कि आगामी सत्रों में पार्लियामेंट में वह सब देखने को मिले जो कि आज तक देखने को नहीं मिला। बजट सत्र बहुत हंगामेदार होने जा रहा है। इसके बाद पुन: जब बृहस्पति वक्री होकर देशकाल को प्रभावित करेंगे तो दशहरे व दीपावली पर सरकार को भारी संकट में ले आएंगे।
हर्षल, प्लूटो व नेपच्यून ही इतने प्रभावी हो रहे हैं इनके साथ शनि और बृहस्पति भी बारी-बारी से वक्री हो रहे हैं। इन परिस्थितियों में राष्ट्र के प्रधानमंत्री भी ऐसी परिस्थितियां सहन करने को बाध्य है जो कि आमतौर से नहीं होतीं।

पशु-पक्षियों के शकुन

मेरी बुआ सास प्राय: घर के सामने के पेड़ पर कौए के आकर बैठने पर कहती थीं कि कोई रिश्तेदार आने ही वाला है। हंस या कबूतर तो संकेत ले जाकर देते हैं या प्रिय की चि_ ले जाते देखे हैं पर कौए को लेकर कम सुना था। हिन्दी फिल्मगदरएक प्रेम कहानी में सन्नी देओल पर एक गाना फिल्माया गया है उसमें भी लोककथा के आधार पर कौए को प्रेमी का संदेश ले जाते हुए बताया गया है। भारतीय समाज ऐसी बातों से बहुत प्रभावी होता है। आनंद बक्षी के गीत में उत्तम सिंह के संगीत में इस गाने को हिट बना दिया था।उड़ जा काले कांवा तेरे, मुंह बिच खंड पांवा, लै जा तू संदेशा मेरा, मै सदके जांवां।।जैसी पंक्तियां ने गाने को लोकप्रिय बना दिया था।
मैं जब ज्योतिष पढ़ाने लगी तो कौए पर और भी जानकारी मिली। उनमें से कुछ की चर्चा मैं यहां कर रही हँू। यह सब जानकारी वराह मिहिर की रचना वृहत संहिता से ली गई है।
प्राय: दक्षिण दिशा में कौए को शुभ माना गया है। वैशाख मास में जब कौआ वृक्ष के ऊपर घोंसला बनाए तो वर्षा आने का संकेत होता है पर यदि कौआ किसी कांटेदार या सूखे हुए वृक्ष पर घोसला बनाए तो अकाल पड़ता है। यदि कौआ सरकंडा, लताएं, अनाज, मकान की छत पर या कहीं जमीन पर घोंसला बनाए तो उस देश या राज्य में अकाल अपराध जन्म लेते हैं। यदि कौआ दो-तीन या चार अण्डे दें तब शुभ माना जाता है, पांच देने पर या अण्डा टूट जाए या एक ही अण्डा हो या अण्डा हो ही नहीं उसे अमंगल कार्य माना गया है। यदि कौआ गाँव या शहर के बीच में आकर बहुत अधिक आवाज करे तो भी दुर्भिक्ष होता है। यदि कौआ निर्भय होकर कौंच, पंजों, पंखों से मनुष्य पर आक्रमण करे तो शत्रु पैदा होते हैं। यदि कौआ रात में उड़ता हुआ पाया जाए तो जन-धन हानि होती है। यदि शैया के ऊपर हड्डी, भस्म, बाल या पत्ते लेकर कौआ डाल दे तो बहुत अशुभ होता है परंतु फल-फूल इत्यादि डाले तो घर में शुभ होता है। कौआ रेत, अनाज, गीली मिट्टी, फूल या फल मुंह में भरकर अपने घर तक जाए तो मान लीजिए एक लॉटरी लगने वाली है परंतु हमारे घर से यही सब चीजें कहीं दूर लेकर चला जाए तो उस वस्तु का नाश होता है। उजड़े हुए पेड़ों में बैठकर कौआ भयंकर शब्द करे तो महान विपत्ति आने वाली होती है। सूर्य की तरफ देखकर कौआ आवाज करे तो सरकारी लोगों से कष्ट आता है परंतु पूर्व दिशा की ओर देखता हुआ कौआ शांति पूर्वक आवाज करे तो राजपुरुष मित्रता का आगमन तथा धन भोजन का लाभ मिलता है। शांत होकर कौए का किसी दिशा में देखना अच्छा माना गया है।
यदि कान जितनी ऊंचाई पर कौआ उड़े तो उसे अच्छा तो माना गया है परंतु कार्य सिद्धि नहीं होती है। यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति के सामने शब्द करता हुए कौआ जाए तो उसे यात्रा में विघ्न उत्पन्न होता है। यात्रा करने वाले के सामने बांयें चलकर दांयें तरफ जाए तो धन नाश होता है परंतु कौआ पहले दक्षिण दिशा में आवाज करे और बाद में उड़कर यात्री के बांयें तरफ आकर शब्द करे तो धन प्राप्ति कराता है। बांयें तरफ से उड़कर आवाज करता हुआ कौआ यात्री के पीछे चला जाए और बार-बार आवाज करे तो उसे धनप्रदायक शकुन माना जाता है। इसी भाँति यदि दांयें तरफ से शब्द करता हुआ आगे कहीं चला जाए तो बहुत धन लाभ कराने वाला होता है। यदि कौआ एक पैर पर खड़ा होकर सूर्य को देखते-देखते अपनी चोंच से पंखों को खुरेजे तो घर के प्रधान पुरुष के लिए मृत्यु भय होता है।
हरे या शुभ वृक्ष पर बैठा कौआ आवाज करें तो शुभ फल देता है परंतु उजड़े हुए वृक्ष पर या कांटेदार वृक्ष पर बैठा हुआ कौआ काम बिगाड़ता है। यदि कटे हुए वृक्ष के सबसे ऊपर कौआ बैठा हो तो शरीर का कोई अंग तक कट सकता है। यदि दो कौए परस्पर एक-दूसरे के मुंह में भोजन देते हों तो यात्री की यात्रा बहुत अच्छी जाती है। स्त्री के सिर पर घड़ा रखा हो और उस पर कौआ बैठ जाए तो अत्यंत शुभ माना गया है।
कौए की शुभ स्थितियाँ : घोड़े पर बैठा हुआ, सफेद फूल, अर्पित वस्तु और माँस को मुख में लेकर शब्द करे। घड़े पर बीट करना, कौए का कड़वा बोलना।
शकुन के शुभ अशुभ होने के अलावा यह भी निर्णय करना होता है कि वह कब फल देगा? यात्रा आदि के आरंभ काल में जिस तरह का शकुन दिखाई देता है उसी तरह से कार्य के अंत तक शुभ-अशुभ फल होता है। किसी कार्य के होते हुए भी यदि मध्यम फल दिखाई दें तो उसका फल तो उसी दिन जाता है। ऐसे किसी भी शुभ शकुन के बीच में छींक जाए तो उसे अशुभ माना गया है।
कई विद्वानों ने यह बताया है कि कुछ किलोमीटर चलने के बाद शकुन का फल निष्फल हो जाता है। कश्यप ऋषि ने अशुभ शकुन के निवारण के लिए कहा है कि यदि पहला शकुन अशुभ हो तो ग्यारह प्राणायाम करना चाहिए। यदि दूसरा शकुन अशुभ हो तो सोलह प्राणायाम करना चाहिए। यदि तीसरा शकुन भी अशुभ हो तो वापिस घर लौट आना चाहिए। ज्यादातर ऋषियों ने व्यवस्था दी है कि अशुभ शकुन हो तो वापस आकर दुबारा ही मुहूत्र्त निकालना चाहिए।
अन्य पक्षियों के शकुन : कबूतर का वाहन, आसन और शैया पर बैठना तथा घर में प्रवेश करना मनुष्य के लिए अशुभ माना गया है। सफेद कबूतर का फल एक वर्ष में चितकबरे कबूतर का फल : महीने में तथा धूम्र वर्ण के कबूतर का फल तुरंत ही होता है। हरियल पक्षी, भारद्वाज पक्षी स्यामा पक्षी का स्वर शुभ माना गया है। खंजन पक्षी, कमल, घोड़ा, हाथी और सर्प के मस्तिष्क पर दिखाई दे तो राज्य देने वाला होता है। पवित्र स्थान या हरी घास पर दिखाई दे तो बहुत शुभ होता है परंतु भस्म, हड्डी, घास या तीण पर दिखाई दें तो एक वर्ष तक कठिनाई आती है। रात्रि में मुर्गें की बांग को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के स्वर अशुभ माने गए है। सारस पक्षी का जोड़ा अगर एक साथ शब्द करे तो शुभ माना गया है।
पशुओं के शकुन : दिनचर जीव यदि रात में गमन करे और रात्रिचर जीव यदि दिन में गमन करें तो उन्हें अशुभ माना गया है। यात्रा करने वाले के लिए बंदर का आवाज करना अच्छा नहीं माना गया है। मनुष्य, घोड़ा, हाथी, घड़ा, आकड़े का पेड़, छत, शैया, आसन, ध्वज, दूब और फूल वाले स्थान पर मूत्र करके यदि कुत्ता यात्रा करने वालों से आगे चला जाए तो अत्यंत शुभ माना गया है परंतु वहीं कुत्ता यदि विष वृक्ष, कांटेदार वृक्ष, पत्थर, काठ, सूखे वृक्ष या श्मशान में हड्डी पर पैर रखकर आगे चला जाए तो अशुभ माना गया है। इसी तरह से कुत्ता मुंह में जूता लेकर यात्री के समीप जाए तो कार्यसिद्धि, माँस लेकर जाए तो धन प्राप्ति, गीली हड्डी लेकर जाए तो अत्यंत शुभ परंतु गली हुई लकड़ी या सूखा मांस लेकर जाए तो अशुभ फल उत्पन्न करता है। यदि किसी मनुष्य का सिर, हाथ, पैर जैसा कोई अंग मुंह में लेकर जाए तो भूमि की प्राप्ति बताई गई है परंतु कोई वस्त्र या छाल इत्यादि लेकर जाए तो अत्यंत अशुभ होता है। सूखी हड्डी को लेकर कुत्ता घर में जाए तो अत्यंत अशुभ माना गया है। यदि यात्री के पांव चाटे या अपने कान को पटके हुए यात्री के ऊपर चढऩे की चेष्टा करे तो यात्रा में विघ्न होता है। कुत्ता यात्री के मार्ग का विरोध करे या अपने अंगों को खुजाए तो यात्रा में विरोध उत्पन्न होता है। इसी प्रकार चाहे यात्री हो और स्थिर मनुष्य हो, उसके आगे ऊपर पाँव करके कुत्ता सो जाए तो अशुभ माना गया है। यदि सूर्योदय के समय ऊपर मुंह करके कई कुत्ते एक साथ रोएं तो स्वामित्व में परिवर्तन आता है। रात्रि में भी कुत्ता का रोना अशुभ माना गया है। यदि कुत्ता मकान के द्वार पर सिर रख ले और बाहर शरीर को रख लें तथा गृहिणी को देखकर बार-बार रोए तो चरित्र पतन की निशानी होती है। यदि अनाज वाले स्थान को कुत्ता खोदे तो अन्न की प्राप्ति होती है। गाय के साथ कुत्ते का खेलना अत्यंत शुभ माना गया है। गाँव या मौहल्ले के मध्य में कुत्ते का शब्द अशुभ लाता है परंतु वृक्ष के समीप कुत्ता आवाज करे तो वर्षा आती है।
पांव से पृथ्वी को खुजाने वाली गाय या अश्रुपूर्ण नेत्र वाली गाय अशुभ फल देती है। मक्खियों से घिरी गाय या कुत्ते के बच्चों से घिरी हुई गाय शीघ्र वर्षा लाती है। बैल रात्रि में शब्द करे तो अत्यंत शुभ माना गया है। मधुर शब्द करती हुई गाय या भैंस बहुत शुभ करती है।