Thursday, April 28, 2011

विवाह के मुहूर्त

उस दिन बी.बी.सी. की हिन्दी सेवा से एक फोन मेरे घर में आया और मेरे पति से उन्होंने एक सवाल किया।आज दिल्ली में एक साथ 27,000 विवाह हो रहे हैं क्या आप मानते हैं कि ये सब सफल सिद्ध होंगे।उन्होंने उत्तर दिया कि जिस विवाह के लिए निश्चित मुहूर्त निकाला गया है, वह अवश्य ही सफल होगा। करोड़ों की आबादी में कुछ हजार विवाह एक साथ होना यह दर्शाता है कि अवश्य ही उस दिन बहुत अच्छी ग्रहस्थिति रही होगी। पाकिस्तान निवासी बी.बी.सी. की उस कलाकार को इस बात का बड़ा आश्चर्य हो रहा था।
भारत में विवाह की सफलता के मूल में मुहूर्त का बहुत बड़ा योगदान है। भारत मेें परिवार अभी बचा हुआ है और विवाह को संस्कार माना गया है। इस पर भी बिना मुहूर्त से यहां विवाह नहीं होते हैं इसलिए यहां विवाह लंबे चलते हैं। विदेशों में परिवार कमजोर पड़ गया है, विघटन अधिक हो गए हैं और विवाह की संस्था बहुत कमजोर हो गई है। मेरा मानना है कि इसका कारण अच्छे मुहूर्त में विवाह नहीं होना। अन्य कारण भी होंगे परंतु ज्योतिष और मुहूर्त भी एक प्रमुख कारण है।
अभी एक विवाह में मेरे पति ने एक कनाड़ा से आई हुई महिला गायक क्लार्क को जब बताया कि उसकी जितनी आयु है उससे ज्यादा वर्ष उनके विवाह के व्यतीत हो चुके हैं तो वह आश्चर्यचकित रह गई। बहुत सारे भारतीय ऐसे हैं जो जीवित हंै और जिनके विवाह को 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मेरे पति के एक जर्मन मित्र कहा करते हैं कि वहां विवाह की औसत आयु 4 से 5 वर्ष तक होती है।
वैशाख शुक्ला तृतीया, चैत्र शुक्ला प्रतिपदा, वसंत पंचमी आषाढ़ शुक्ला नवमी में ऐसी तिथियां मानी गई है जिनको लोग अबूझ सावा मानते हुए प्रयोग में ले लेते हैं। इस दिन ग्रामीण काश्तकार तो ना किसी पंडित को पूछते हैं और ना ही किसी अन्य को और बच्चों के विवाह करा देते हैं।
अमावस्या ही नहीं बल्कि पूर्णिमा भी विवाह में अशुभ मानी गई है परंतु कार्तिक पूर्णिमा के दिन विवाह को कहीं-कहीं आज्ञा दी गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि कोई भी एक निश्चित तिथि सभी मामलों में समान रूप से प्रयोग नहीं ली जाती। फिर भी कोई-कोई समय है जिसके लिए सभी प्रकार से मान्यता है जैसे गोधूलि का विवाह सभी जगह शुभ माना गया है। इस तरह के बहुत सारे तर्कों को लेकर मुहूर्त गढ़े जाते हैं।
कुछ कट्टर ब्राह्मण वर्जित मुहूर्त में विवाह संपन्न नहीं कराते हैं। पंडित सतीश शर्मा को मैंने कई बार मलमास में किए जाने वाले विवाहों में जाने के लिए मना करते हुए देखा है।
कुछ चर्चित नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र में ब्रह्मा मदमूचर््िछत हो गए थे। तब तक पुष्य नक्षत्र विवाह में ग्रहण किया जाता था। उस दिन के बाद अन्य सभी कार्य पुष्य नक्षत्र के दिन किए जाते हैं परंतु विवाह के लिए वर्जित हो गया। वाल्मिकी ऋषि ने कहा है कि पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में सीता का विवाह हुआ था इसलिए उन्हें विवाह का सुख प्राप्त नहीं हो सका। अत्रि ऋषि ने अभिजित नक्षत्र को इसलिए अशुभ माना क्योंकि उसमें दमयंती का विवाह हुआ था और उसे राजा नल से दूर रहना पड़ा क्योंकि वे उसे भूल गए थे। किन्हीं-किन्हीं कारणों से अश्विनी, चित्रा, श्रवण और धनिष्ठा में भी विवाह वर्जित किए गए हैं। विवाह संबंधी कार्यों में श्राद्ध आदि कर्म की निंदा की गई है परंतु पितरों के संबंधित नक्षत्र मघा को विवाह कार्य के लिए शुभ मान लिया गया है। क्यों? इसलिए दक्ष प्रजापति की 13 पुत्रियों का विवाह कश्यप ऋषि के साथ हुआ और मघा नक्षत्र में हुए इस विवाह से जो संतानें उत्पन्न हुईं उनमेें देव-दानवों के अलावा पृथ्वी पर रहने वाले अधिकांश प्राणी हैं। भगवान कृष्ण की माता देवकी का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था। यह वर्जित नक्षत्र था परंतु जब इनसे भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया तो यह नक्षत्र शुभ मान लिया गया और मूल नक्षत्र में विवाह की आज्ञा दे दी गई।
चर्चित लग्न
कर्क लग्न को विवाह के लिए शुभ नहीं बताया गया है। अन्य सभी लग्न की मान्यता है। अन्य चर लग्नों में भी पाणिग्रहण संस्कार स्वीकार किए गए हैं।
ग्रहों का शुभ-अशुभ प्रभाव
बृहस्पति जब वक्री हों या अतिचारी हों (जब अस्त होने से पश्चात् मोक्ष हो जाए और ग्रह सामान्य से अत्यधिक गति करने लगे) तो महाराष्ट्र, पश्चिमी मध्यप्रदेश, गुजरात और दक्षिणी राजस्थान में विवाह वर्जित बताया गया है। मघा नक्षत्र में जब गुरु हों तो विवाह नहीं करना चाहिए। मीन राशि के सूर्य को आमतौर पर मलमास कहा जाता है परंतु बिहार और दक्षिण पूर्वी उत्तरप्रदेश इत्यादि कुछ राज्यों में इसे दोषी नहीं माना गया है।
महीनों का विचार
आश्विन मास में विवाहित स्त्री को सुख प्राप्त नहीं होता। श्रावण मास में विवाह करने से स्त्री को गृह-सुख का अभाव होता है। कार्तिक में तेज और शक्ति की हानि होती है और चैत्र मास में नशे में आसक्त और मार्गशीर्ष में अन्न का अभाव झेलती है। भाद्रपद मास में विवाहित स्त्री की सुख अभिलाषाएं समाप्त हो जाती हैं। पौष मास में विवाहित स्त्री अपने पति के सुखों को कम कर देती है।
कुछ मास और तिथियां अपवाद स्वरूप ले ली गई हैं जैसे भार्गव कुल में उत्पन्न और राजस्थान के मस्त्यप्रदेश में रहने वालों के लिए भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की दशमी विवाह के लिए अच्छी तिथि मानी गई है। इसी प्रकार रेगिस्तान में निम्न जातियों के लिए आश्विन शुक्ला दशमी अच्छी मानी गई है।
तिथियों के शुभ भाग
तिथियों के प्रारंभ और अन्त में 40-40 पल, नक्षत्रों के प्रारंभ और अंत के 37 पल, योगों के आदि और अंत के 34 पल तथा कर्क, वृश्चिक मीन राशि वालों के लिए आदि अंत के ढाई पल का त्याग कर देना चाहिए। बाकी तिथि शुभ मानी गई हैं। तिथि के आदि और अंत में विवाह करने से पति की मृत्यु, नक्षत्र के आदि अंत में विवाह करने से स्त्री संतानहीन, योग के आदि अंत में विवाह करने से स्त्री चंचल स्वभाव वाली और राशियों के आदि अंत में विवाह करने वाली स्त्री कुल का नाश करती है।
अत: हमें समझ लेना चाहिए कि नाच-गाने में अधिक समय लगाकर मुहूर्त में जो दोष जाता है, वह किस हद तक भयानक हो सकता है।
योनि विचार
विवाह विचार में सभी 28नक्षत्रों की योनियां बताई गई हैं। उनमें से कुछ योनियां एक-दूसरे की शत्रु होती हैं। यदि वर कन्या की योनियां एक-दूसरे की शत्रु योनि हो तो योनि वैर कहलाता है और विवाह अशुभ सिद्ध होता है। हाथी और सिंह का, मेष और वानर का, अश्व और महिष का, मूषक और विडाल का, सर्प और नेवले का, मृग और स्वांग का तथा काग और गऊ का वैर होता है। वैर योनि से जीवन में कलह और अशुभ बहुत आता है।
शुभ नक्षत्रों के श्रेष्ठ जोड़े
कुछ नक्षत्रों में बड़ी प्रीति होती है। इन नक्षत्रों के जातक एक-दूसरे से विवाह करें तो बहुत सारे गुण मिलते हैं। ये निम्न हैं:
1. अश्विनी और भरणी = 34 गुण
2. कृत्तिका और शतभिषा = 321/2 गुण
3. रोहिणी और मृगशिरा = 36गुण
4. मृगशिरा और पू.भाद्रपद = 311/2 गुण
5. आद्र्रा और मृगशिरा = 33 गुण
6. पुनर्वसु और मृगशिरा = 311/2 गुण
7. पुनर्वसु और पुष्य = 35 गुण
8. पुष्य और भरणी = 311/2 गुण
9. पुष्य और अश्विनी = 311/2 गुण
10. पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी = 35 गुण
11. हस्त और मृगशिरा = 34 गुण
12. चित्रा और विशाखा = 341/2 गुण।
13. शतभिषा और कृत्तिका = 311/2 गुण।
14. उत्तराभाद्रपद और पूर्वाभाद्रपद = 33 गुण
15. उत्तराभाद्रपद और रेवती = 34 गुण
इसी तरह से कुछ अशुभ जोड़े भी हंै। जैसे कि -
1. भरणी और चित्रा = 5 गुण
2. हस्त और अश्विनी = 9 गुण
3. ज्येष्ठा और आद्र्रा = 3 गुण
4. ज्येष्ठा और पुनर्वसु = 7 गुण
5. मूल और पुनर्वसु = 8 गुण
6. धनिष्ठा और पुष्य = 41/2 गुण
7. मघा और श्रवण = 41/2 गुण
8. शतभिषा और पुनर्वसु = 8 गुण
9. उत्तराफाल्गुनी और मूल = 91/2 गुण
10. अनुराधा और चित्रा = 61/2 गुण
11. स्वाति और विशाखा = 7 गुण
12. धनिष्ठा और पूर्वाषाढ़ा = 6 गुण
इस तरह से कुछ जोड़े और भी हैं।
कुछ अन्य तथ्य
1. जन्म नक्षत्र, जन्म मास, जन्मदिन और जन्म लग्न में अगर पाणिग्रहण संस्कार किए गए तो दंपती को क्लेश प्राप्ति होती है। दिन में जन्म हो तो रात्रि में विवाह और कृष्ण पक्ष में विवाह शुभ माना गया है।
2. प्रथम गर्भ से उत्पन्न कन्या प्रथम गर्भ से उत्पन्न वर, ज्येष्ठ मास में उत्पन्न कन्या तथा ज्येष्ठ मास में उत्पन्न वर, ज्येष्ठ मास में विवाह, ये पांच तथ्य मिलकर ज्येष्ठ पंचक या शुक्ल पंचक कहलाता है। यदि दो ज्येष्ठ या चार ज्येष्ठ हों तो तब तो विवाह शुभ अन्यथा अशुभ माना जाता है। मान लीजिए किसी माता का प्रथम गर्भ नष्ट हो गया है तथा दूसरे गर्भ से उत्पन्न संतान का विवाह हो रहा है तो ज्येष्ठ पंचक का नियम उस पर लागू नहीं होता।
3. एक ही माता से उत्पन्न दो बहिनों का विवाह एक साथ, एक ही मंडप में नहीं करना चाहिए।
4. भाई के विवाह के : माह के अन्दर बहिन का विवाह निश्चित ही है परंतु बहन के विवाह के बाद भाई का विवाह कभी भी किया जा सकता है।

बृहस्पति का मेष में गोचरफल


बृहस्पति मेष राशि में आने ही वाले हैं। 7 मई 2011 से 17 मई 2012 तक वे मेष राशि में रहेंगे। हम इसे वर्ष कहेंगे। मीन राशि से मेष में आने के बाद, वे मेष राशि में स्थित होकर विभिन्न राशियों को प्रभावित करेंगे। कुछ विद्वान मानते हैं कि वे राशि में वास्तविक प्रवेश से डेढ़-दो महीने पहले ही अगली राशि के परिणाम देना शुरू कर देते हैं। इस बात को मानते हुए यदि बृहस्पति मेष राशि में 8मई को प्रवेश करते हैं तो 15 मार्च 2011 के बाद कई लोगों को मेष राशि के फल प्राप्त करते हुए देखा जा सकता है। गत दिनों में ऎसा अनुभव में भी आया है।
यहां जन्म राशि पर आधारित बृहस्पति का गोचर लिखा जा रहा है ताकि प्रत्येक राशि वाले उनके फलों का अनुमान लगा सकें। राशि की गणना जन्मपत्रिका में चन्द्रमा की स्थिति से की जाती है। यदि आपको अपनी जन्मराशि नहीं मालूम तो आपके प्रसिद्ध नाम के प्रथम अक्षर के आधार पर फल देखें।

मेष: मेष लग्न के लिए बृहस्पति भाग्योदय लाने वाले हैं। न केवल वे लग्न को बलवान करेंगे बल्कि राजा, न्यायालय और आम जनता से समर्थन प्राप्त कराएंगे। यह वर्ष (अर्थात् बृहस्पति के मेष राशि में स्थित रहने का वर्ष) आपकी संतान के लिए अत्यन्त श्रेष्ठ है। नया एडमिशन या किसी एम.बी.ए., इंजीनियरिंग में एडमिशन या कोर्स कर लिया हो तो नौकरी लगने के लिए यह श्रेष्ठ है। इस वर्ष आपको भागीदारी के मामलों में सफलता मिलेगी और लाभ होगा। नई भागीदारियां हो सकती हैं, भागीदारी में सार्थक परिवर्तन हो सकते हैं। नए प्रेम संबंध जन्म ले सकते हैं या पुराने प्रेम संबंध पुष्ट हो सकते हैं। जिनकी विवाह की उम्र है, उनके विवाह सम्पन्न हो सकते हैं। यह भाग्य फलने का वर्ष है तथा आपके पिता, गुरू, बॉस तथा धार्मिक मामलों के लिए अत्यन्त शुभ वर्ष है।

वृषभ: वृषभ लग्न के लिए यह ख्याति का वर्ष है जिसमें बृहस्पति आपकी कार्यप्रणाली में संशोधन चाहते हैं, नए अनुसंधान चाहते हैं और किसी कार्य को तेजी से लागू कराना चाहते हैं। इस समय आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी, कर्जो मे कमी आएगी, भूमि भवन की प्राप्ति होगी, भूमि से संबंधित ऋण लेंगे, वाहन से संबंधित ऋण भी ले सकते हैं तथा अज्ञात स्रोतों से धनागम होगा। गोचरवश जब बृहस्पति अपनी ही राशि को जो कि अष्टम स्थान में स्थित है, देखते हैं तो ग़डा धन मिलता है। ब़डी फीस, भूमि से ब़डा लाभ, जमीन, मकान, खान से लाभ या ब़डी आर्थिक व्यवस्था, इसके आवश्यक परिणाम हैं। आपको आध्यात्म का नया परिचय मिलेगा, अधिक दान करेंगे, गुप्त रोगों का समाधान होगा और आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होगी। ब़डा खर्चा करेगे तथा कानूनी मामलों मे निर्णायक मो़ड तक पहुंचेंगे। जितना रूपया हाथ में होगा, सब खर्च हो जाएगा। सुंदर उपहार लेंगे-देंगे।

मिथुन: लग्न से ग्यारहवें बृहस्पति लाभदायक हैं और प्रतिभा पर आधारित कार्य कराना चाहते हैं। यह अत्यन्त ओजस्वी बृहस्पति हैं जो ब़डे भाई या बहिन की तो चिंता कराएंगे परन्तु छोटे भाई या बहिन की समस्याओं को हल कर लेंगे। अत्यधिक ऊर्जावान होकर आप दुस्साहस के कार्य करेंगे। औसत से अधिक आर्थिक लाभ होगा, सरकारी लोगों से लाभ उठा पाएंगे, संतान के लिए यह वर्ष श्रेष्ठ है और उनका भाग्योदय होगा। सगाई संबंध या विवाह भी कर सकते हैं। आप स्वयं की पदवृद्धि होगी, भागीदारी में लाभ होंगे, जीवनसाथी को व्यवसाय में लाभ होगा, उनके जीवन को नई ऊंचाई मिलेगी। नए भागीदार मिलेंगे और भागीदारी से लाभ मिलेंगे। पुराने भागीदार से मुक्ति हो सकती है और यदि बनी रहेगी तो भागीदारी लाभदायक रहेगी। दैनिक आय बढ़ेगी।

कर्क: राशि से दशम बृहस्पति प्रारंभ से ही शुभ फल देना शुरू कर देंगे और अप्रैल-मई में ही विशेष उपलब्धियां हो जाएंगी। इस वर्ष शैक्षणिक क्षेत्रों मे नई उपलब्धियां होंगी, बॉस प्रसन्न रहेंगे, भूमि भवन या वाहन में आप पैसा लगाएंगे, घर मे मंगल कार्य होंगे, वस्त्र और आभूषण बनेंगे तथा ऋण लेंगे। इसके उलट ऋणों का अच्छा पुनर्भुगतान भी कर सकते हैं। ऎसा करने में किसी भूमि इत्यादि का निष्पादन भी कर सकते हैं। इस वर्ष कुछ ऎसा होगा कि आपकी ख्याति का विस्तार सीमाओं को लांघ जाएगा। ना केवल पुराने जेवर को नया करवा लेंगे बल्कि नया भी खरीद लेंगे। कहीं स्टेज इत्यादि पर सम्मानित होने का अवसर मिलेगा। पिता के लिए शुभ समय चल रहा है, आपके बॉस के लिए भी सही समय चल रहा है और शासन से आपके संबंध सुधरेंगे।

सिंह: इस वर्ष बहुत दावतें मिलेंगी। खुशी के एक से अधिक अवसर होंगे और कार्य संतुष्टि की वजह से वजन बढ़ेगा। अगर 2500 रूपए प्रति किलो का खर्चा नहीं करना चाहें तो तुरन्त मॉर्निग वॉक शुरू कर दीजिए। पद वृद्धि होगी, तनख्वाहें बढ़ेंगी, संतान को लाभ होगा, संतान का एडमिशन होगा या नौकरी लगेगी। आपको निर्धारित कार्य से उच्चाकोटि का कार्य दिया जाएगा और जहां आप काम करते हैं वहां की सारी बेगार आपके हिस्से मे आएगी। बॉस प्रसन्न तो रहेंगे परन्तु तेल निकाल लेंगे और आपको खुश भी करेंगे। धार्मिक कार्यो में रूचि बढ़ेगी, धर्म कार्यो पर खर्चा करेंगे, पिता और माता के लिए अत्यन्त शुभ समय है और दूरस्थ स्थानों की या विदेश की यात्राएं होंगी। किसी घटना विशेष से आप में अनंत उत्साह जागेगा और आप नई धुन में हर काम को करने की कोशिश करेंगे। देवता आप पर मेहरबान हैं अत: अधिक पूजा करें।

कन्या: आठवें बृहस्पति भूमि प्राप्ति कराएंगे। अचानक धन प्राप्ति कराएंगे, ब़डे उपहार दिलाएंगे, पाचनतंत्र के विकार बढ़ेेगे, आध्यात्म में नई उपलब्धि होगी, आपका दृष्टि क्षेत्र विकसित हो जाएगा, आप दूर-दूर की कल्पनाएं करेंगे और उन पर अमल करने की कोशिश भी करेंगे, साधन जुट जाएंगे। अनुमान से अधिक धन आने के कारण कप़डे और जेवर इत्यादि की मौज हो जाएगी। आपके नानी पक्ष के लिए अच्छा समय आ रहा है और माता के लिए भी शुभ समय आ रहा है। माता का सम्मान बढ़ेगा, उनके नाम से व्यवसाय में लाभ होगा। यदि दूर रह रहे हों तो माता से मिलना होगा। मातृ स्थान के भी नजदीक जा सकते हैं, कुल मिलाकर वर्ष अच्छा रहेगा परन्तु शारीरिक कष्टों से बचने के लिए खानपान पर बहुत अधिक ध्यान दें।

तुला : प्रेम संबंधों में अति सावधानी बरतें। कोई बनी हुई बात बिग़ड सकती है। आपसी संबंधों में अहंकार को सामने नहीं आने दें। कभी कुट्टी हो जाएंगे तो कभी ठीक हो जाएंगे। यह वर्ष भाई-बहिनों के लिए विशेष अच्छा है और कई मामलों में आपको उनकी मदद लेनी प़डेगी। आप भी उन्हें सहयोग कर सकते हैं। इस वर्ष भागीदारी में बहुत अधिक सावधानी बरतनी होगी यद्यपि लाभ होगा परन्तु अन्दर ही अन्दर कलह भी चलती रहेगी। व्यवसाय में कोई निर्णायक मो़ड अंत में आ सकता है।

वृश्चिक: बृहस्पति के प्रभाव में धनागम काफी होगा और ऋण भी बढ़ेगा। चार-छ: महीने संघर्ष करेंगे तब धीरे-धीरे परिस्थितियो पर नियंत्रण होता चला जाएगा। ऋणों का पुनर्भुगतान भी होगा और नए ऋण भी हौंगे। 2011 के उत्तरार्द्ध में जबकि शनि तुला राशि में आ जाएंगे, व्यावसायिक क्षेत्रों में संघर्ष बढ़ेगा और गला काट प्रतियोगिता चलेगी। यह साढ़ेसाती की शुरूआत है जिसके अच्छा जाने की संभावना है परंतु उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे। कलह से सावधानी बरतें। संतान के लिए यह वर्ष अच्छा है और जीवनसाथी के लिए भी कुछ अच्छी उम्मीद कर सकते हैं। कुटुम्ब के मामलों में विवाद बने रहेंगे और सामूहिक निर्णय में आपको सहमति देनी प़ड सकती है। राजपक्ष से लाभ मिलेगा, व्यवसाय की शैली में परिवर्तन होगा और अद्भुत प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

धनु : यह वर्ष भाग्योदय वाला है जिसमें आपकी पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी और संतान को लाभ होगा। यदि नौकरी करते हैं तो स्थानान्तरण संबंधी चिंताएं बनी रहेंगी और व्यवसाय करते हैं तो यात्राएं बढे़ंगी। इस वर्ष दावतें खूब खाने को मिलेंगी जिसके कारण वजन बढ़ेगा और उसके उपाय करते रहेंगे। भाई-बहिनों के लिए यह वर्ष शानदार जाने वाला है और उनके नौकरी-व्यवसाय में लाभ होगा। यह लाभ का वर्ष है जिसमें किसी कारण से औसत से अधिक आय अर्जित कर सकते हैं। 2011 के सितंबर के बाद आर्थिक लाभ की मात्रा में बढ़ोत्तरी होगी। छोटी-मोटी आकस्मिक घटनाएं हो सकती हैं परंतु बृहस्पति देवता के कारण आपकी रक्षा होती रहेगी । इस वष्ाü आप समूह के आचरण के नए नियम सीखेंगे परंतु गर्व करने के कारण कभी नीचा भी देखना प़ड सकता है।

मकर : नौकरी करने वालों के लिए यह वर्ष बहुत अच्छा जाएगा। व्यवसाय में भी आवश्यक परिवर्तन आएंगे और आप कुछ नया करने की सोचेंगे। आपको अच्छा समर्थन मिलेगा। आपकी प्रतिष्ठा अचानक बढ़ेगी और ब़डे वर्गो में आप लोकप्रिय हो सकते हैं। लोग आपसे सलाह-मशविरा करेंगे। आपको थो़डे ही दिनों बाद अपनी विशेष स्थिति में आना होना जिसके कारण आपके व्यवहार में एक नाटकीय परिवर्तन आ सकता है। भूमि-भवन के किसी एक मामले का विस्तार आप कर सकते हैं। वाहन की गति नियंत्रित रखें अन्यथा कोई कष्ट आ सकता है। 2011 के उत्तरार्द्ध में घर में थो़डी कलह बढ़ेगी या जीवनसाथी के स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है। उनके नौकरी या व्यवसाय में कोई पी़डा आ सकती है। इस वर्ष कोई आकस्मिक धन प्राçप्त हो सकती है या विदेश यात्राएं हो सकती हैं या अन्य शहरों से आमदनी बढ़ सकती है तथा ऋणों का पुनर्भुगतान करने में भी सुविधा बढे़गी। आय के नए-नए तरीके समझ में आएंगे परंतु आप बिना अच्छी सलाह के काम नहीं करेंगे।

कुंभ : यह भाग्यशाली वर्ष है जिसमें बृहस्पति देवता आपके सप्तम, नवम व एकादश भाव को दृष्टिपात करते रहेंगे। प्रेम संबंधों में सफलता मिलेगी, जीवनसाथी के कार्य-व्यवसाय में बढ़ोत्तरी होगी, नए-नए अवसर मिलेंगे और आर्थिक लाभ की मात्रा बढ़ेगी। भाग्य के नए-नए अवसर प्राप्त होंगे और आप अपने प्रयासों से हर मामलों में सफलता अर्जित करेंगे। यह शत्रुओं के परास्त होने का समय चल रहा है जिसमें आप व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता में अपनी शर्तो पर जीत हासिल करेंगे। ब़डे भाई-बहिनों के लिए शुभ समय है परंतु छोटे भाई बहिनो की तरफ से थो़डी चिंता रहेगी। सरकारी लोगों से बहुत कौशल से कार्य लेंगे परंतु आर्थिक लाभ कमाने में आप तिक़डम का प्रयोग करेंगे और आपको उसका फायदा मिलेगा। इस वष्ाü नई भागीदारियां सामने आ सकती हैं। साधारण बाधाओं को छो़डकर कोई विशेष बाधा नहीं रहेगी। भूमि-भवन से संबंधित कोई निर्णय 2012 के पूर्वार्द्ध में कर सकते हैं।

मीन : इस वर्ष आपकी महत्वाकांक्षाएं परवान चढ़ेंगी और आप जोश व उत्साह में भर जाएंगे। 2011 के उत्तरार्द्ध में एक तरफ नौकरी करने वालों को थो़डी बहुत समस्या झेलनी प़डेगी तो दूसरी तरफ आप अपनी योग्यता के बल पर अपना उचित स्थान बनाए रखेंगे। कामकाज में शोध की प्रवृत्ति आपको लाभ देने वाली रहेगी। अर्थलाभ के सीमित अवसरों पर भी आप बचत करने में सफल हो जाएंगे या किसी नए स्रोत से आए धन को, ऋणों के पुनर्भुगतान में काम में लेगे। इस वर्ष आध्यात्मिक कार्यो में उन्नति होगी, रहस्यविद्याओं की प्राçप्त होगी तथा नए सहयोगी मिलेंगे। पारिवारिक मामलों में ब़डा दायित्व निभाएंगे और वर्ष में कई बार मंगलकारी कार्य होने के कारण दावतों में भाग लेंगे।