Saturday, July 30, 2011

मैकेनिकल इण्डस्ट्रीज में कॅरियर

समस्त धर्मों हिन्दू, बौद्ध, ताओ, कन्फ्यूशियस, शिंटो, जुरथ्रस्थ (पारसी), इस्लाम, यहूदी तथा ईसाई के अनुयायी एक ऐसी शक्ति में विश्वास करते हैं जो कम से कम मनुष्य से अधिक शक्तिशाली है। इस शक्ति को विज्ञान तीन ऊर्जाओं के रूप में स्वीकारता है - न्यूक्लियर फोर्स, मैग्निटिक फोर्स तथा कॉस्मिक फोर्स। इनके परे कुछ भी नहीं है, सब कुछ इसी सत्य-सत्ता में समाहित है। इनमें व्यक्ति, देश, काल आदि के अनुसार असन्तुलन बना नहीं कि समझिए आपदाओं-विपदाओं तथा अराजकता ने घेरना प्रारम्भ कर दिया है। चिरन्तर से प्रत्येक देश-धर्म का सतत् प्रयास रहा है कि विरोधी बन गयी इन ऊर्जाओं को पुन: कैसे अनुकूल करके सन्तुलन बनाया जाए?
सृजनात्मक शक्तियों में मुक्त प्रवाह को अनुकूल करके अधिकाधिक दैहिक, भौतिक तथा आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए वास्तुशास्त्र तथा फेंगशुई के प्रयोग भी अत्यधिक प्रचलित और प्रभावशाली सिद्ध हुए हैं।
वास्तु विज्ञान के नियम और सिद्धान्त पूर्णतया व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक हैं। पृथ्वी का प्राकृतिक चुम्बकीय क्षेत्र, जिसमें कि चुम्बकीय आकर्षण सदैव उत्तर से दक्षिण दिशा में रहता है, हमारे जीवन को निरन्तर प्रभावित करता है। पल-प्रतिपल जीवन इस चुम्बकीय आकर्षण के प्रति आकर्षित है। प्राकृतिक रूप से इस अदृश्य शक्ति द्वारा हमारा जीवन संचार हो रहा है। एक छोटा सा उदाहरण देखें, इस आकर्षण की उपयोगिता स्वयं सिद्ध हो जाएगी - नियम है कि - सोते समय हम अपने पैर दक्षिण दिशा की ओर नहीं करते। सौर जगत, धु्रव के आकर्षण पर आलम्बित है, यह धु्रव उत्तर दिशा में स्थित है।
यदि
कोई व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर पैर और उत्तर की ओर सिर करके सोएगा तो ध्रुव चुम्बकीय प्रभाव के कारण पेट में पड़ा भोजन पचने पर जिसका अनुपयोगी अर्थात् पचने वाला अंश मल के रूप में नीचे जाना आवश्यक है, वह ऊपर की ओर आकर्षित होगा, इससे हृदय, मस्तिष्क आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसके विपरीत उत्तर दिशा की ओर पैर होंगे तो एक तो हमारा भोजन परिपाक ठीक होगा। दूसरे वहाँ धु्रवाकर्षण के कारण दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रगतिशील विद्युत प्रवाह हमारे मस्तिष्क से प्रवेश करके पैर के रास्ते निकल जाएगा और प्रात: उठने पर मस्तिष्क विशुद्ध परमाणुओं से परिपूर्ण और सर्वथा स्वस्थ होगा।
जन्मकुण्डली जीवन में संभावित हर अदृश्य घटनाक्रम पर से पर्दा हटाकर घटना का प्रत्यक्ष दर्शन करा सकती है। वाहनों से संबंधित ऑटोमोबाइल और मैकेनिकल क्षेत्र आज बहुत अधिक विस्तृत हो गया है। प्राचीन काल में तो केवल हाथी, घोड़ा, ऊँट, बैल, महिष आदि पशुओं तथा रथ, बग्गी या घोड़ा गाड़ी, बैल गाड़ी, गधा गाड़ी आदि वाहनों या साधनों का ही प्रयोग होता था। पुष्पक विमान जैसे वायुयानों का वर्णन रामायण में मिलता है।
हिन्दु
धर्मग्रंथों में प्रत्येक देवता का भी एक निश्चित वाहन बताया गया है। जैसे-गणेश जी का चूहा, शिवजी का बैल (नंदी), दुर्गा जी का शेर, कार्तिकेय का मोर, भगवान विष्णु का गरुड़, लक्ष्मी जी का उल्लू, सरस्वती जी का हंस, इन्द्र का ऐरावत हाथी, ग्रहों में सूर्य देव का रथ (सात घोड़ों का), चंद्रमा का हिरण, मंगल का मेष या मेंढ़ा, बुध का सिंह, गुरु का हाथी, शुक्र का घोड़ा, शनि का गीध पक्षी, राहु का रथ (जरख पशु से जुता हुआ) तथा केतु का मीन या मछली वाहन होता है। इस तरह ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में पशुओं पक्षियों को तथा इनके द्वारा निर्मित साधनों रथ आदि को ही वाहन के रूप में प्रयोग किया जाता था। पशु-पक्षियों का वाहन के अलावा संदेश वाहक मालवाहक के रूप में भी प्रयोग होता था।
वाहनों के कारक ग्रह- वर्तमान में वाहनों का स्थान मशीनों ने ले लिया है। उपयोग तो वही रहा परंतु साधन और माध्यम बदल गये हैं। पहले पशु या वाहन व्यवसाय हेतु बृहस्पति ग्रह को प्रमुखता दी जाती थी पंरतु वर्तमान में वाहनों में मशीनरी विद्युत का अधिक प्रयोग होने के कारण बृहस्पति के साथ शनि-मंगल राहु की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। बृहस्पति चौपायों के, शनि मशीनों के, मंगल विद्युत के और राहु तकनीकी के कारक माने जाते है।
वर्तमान में वाहन का व्यवसाय केवल विक्रय तक ही सीमित नहीं रहा अपितु रिपेयरिंग यूनिट भी आवश्यक हो गई है।
मशीनों के प्रति रुझान- व्यक्ति का रुझान किस क्षेत्र विशेष में रहेगा यह जान लेना सर्वप्रथम आवश्यक है, उसके बाद अन्य ग्रह स्थितियों के आधार पर रुचि के क्षेत्र में निश्चित विषय का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
जन्म कुण्डली के लग्र चंद्रमा पर शनि का प्रभाव मशीनों वाहनों के प्रति सहज आकर्षण देता है तथा साथ में राहु का प्रभाव वस्तु या विषय की तकनीकी समझने की सहज चेष्टा उत्पन्न करता है।
जन्म लग्र चंद्रमा पर ग्रह विशेष का प्रभाव व्यक्ति के मनोबल को स्पष्ट रूप से प्रकट करता है।
वाहन से आजीविका- वाहन का सुख होना वाहनों से आजीविका कमाना दो अलग-अलग बातें हैं। वाहन सुख उपयोग के लिए जन्म पत्रिका का चौथा भाव और वाहन से आजीविका के लिए दसवां भाव विचारणीय होता है। जैसा कि पहले बताया है शनि राहु ग्रह का लग्र चंद्रमा पर प्रभाव होने पर जातक का यदि मशीनों के प्रति लगाव हो तो फिर दशम भाव के आधार पर आजीविका तक पहुँचना पड़ता है।
योग : वाहन व्यवसाय के लिए दशम भाग में बृहस्पति की राशि(धनु या मीन) सकारात्मक लक्षण होता है। कुण्डली में यदि बृहस्पति दशम भाव के स्वामी हों और चतुष्पद राशि (मेष,वृषभ या सिंह) में स्थित हों तथा चतुष्पद राशि में स्थित ग्रह से दृष्ट हों तो जातक निश्चित रूप से वाहन व्यवसाय, उद्योग या तकनीकी के क्षेत्र से आजीविका कमाता है।
छोटे मंहगे वाहन- चतुष्पद राशि (मेष, वृषभ या सिंह) में स्थित दशमेष बृहस्पति पर यदि चतुष्पद (पशु) राशि में स्थित मंगल का दृष्टि प्रभाव हों तो जातक ऑटोमोबाइल इंजीनिंयरिग में सफल हो सकता है। अथवा अति आधुनिक तकनीकि पर आधारित मंहगे छोटे दुपहिया या चार पहिया वाले वाहनों का व्यवसाय कर सकता है।
छोटे सवारी माल वाहक वाहन- उपरोक्त स्थिति में स्थित बृहस्पति पर यदि चतुष्पाद राशि में स्थित बुध की दृष्टि हो तो व्यक्ति छोटे सवारी ढोने वाले तथा मालवाहक रिक्शा, टेम्पो, लगेज या साइकिल साइकिल रिक्शा का व्यापार अथवा राहु या शनि का भी दशम पर दृष्टि प्रभाव हो तो मरम्मत का कारखाना डालकर भी व्यक्ति आजीविका कमा सकता है।
वाहनों से व्यवसाय- वाहन खरीदकर अपनी आजीविका कमाना भी एक क्षेत्र है। वास्तव में तो यह बहुत बड़ा भी है। ट्रांसपोर्ट, ट्रेवल एजेन्सीज, टयूर एंड ट्रेवल्स, सवारी गाड़ी, बस, जीप, कार आदि तथा मालवाहक वाहनों को किराये पर चलाकर भी उत्तम लाभ अर्जित किया जा सकता है।
चतुष्पाद राशि में स्थित दशमेश बृहस्पति पर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तथा चंद्रमा षड्वर्ग कुण्डलियों में बुध की राशियों में स्थित हों तो व्यक्ति, इसी तरह आजीविका कमाता है। वह वाहनों को उत्पादक वस्तुओं रूप में काम में लेता है। चंद्रमा की दृष्टि से मँहगें सुविधाजनक वाहनों से लाभ कमाता है परंतु यदि चंद्रमा के साथ शनि का प्रभाव हो तो बस, ट्रक आदि से भी लाभ कमाता है।
मँहगी मोपेड या वायुयान : जन्मपत्रिका में दशमेश बृहस्पति सिंह राशि में हों और सूर्य वृषभ राशि में हों तो व्यक्ति तेज गति वाले अति मँहगें वाहनों या वायुयानों के माध्यम से आजीविका के योग बन जाते हैं। किसी अच्छी एयर बस सर्विस में नौकरी मिल सकती है, एयर बस का मालिक हो सकते हैं, मँहगी मोपेड़ या मर्सीडीज जैसी कारों का व्यापार भी हो सकता है।
उपरोक्त वर्णन में चतुष्पद राशि में स्थित बृहस्पति पर चतुष्पद राशि में स्थित अन्य ग्रह की दृष्टि से विशेष प्रकार के वाहनों के व्यापार या व्यवसाय के योग बताए गए हैं। यदि उपरोक्त योगों में बृहस्पति पर यदि शनि राहु का दृष्टि प्रभाव भी किसी कुण्डली में दिखाई देता है तो व्यक्ति केवल वाहन विशेष का व्यापार करके, वाहन के पाटर््स का निर्माण, तकनीकी में सहयोग सुधार यानि इंजीनियरिंग, वाहनों की मरम्मत आदि द्वारा भी अपनी आजीविका कमा सकते हैं।

फेंगशुई दीपक का उपयोग वास्तु दोषों को दूर करने में मैंने बहुत उपयोगी पाया है। अपनी प्रचलित नाम राशि की दिशा अथवा उससे संबंधित ग्रह की दिशा में दीपक अपने सोने के स्थान पर सायँकाल से 2/3 घंटे जलाएं। स्वास्थ्य लाभ के लिए यह बहुत अच्छा उपक्रम सिद्ध होता है।
2. एक खुले मुँह वाले काँच के पारदर्शी बर्तन में कुछ बच्चों के खेलने वाली रंगीन गोलियाँ डाल दें। इसमें जल भरें तथा सतह पर एक सफेद फ्लोटिंग मोमबत्ती जला दें। तैरने वाली मोमबत्ती मिले तो किसी तैरने वाली पारदर्शी सतह पर सफेद मोमबत्ती जला दें। नित्य इस दीपक का पानी बदल दिया करें। यदि बाजार से फेंगशुई दीपक मिल जाए तो अधिक अच्छा होगा।
ध्यान केन्द्रित करने के लिए बौद्ध मठों में सुगन्धित मोमबत्तियाँ मिलती हैं। इनकी भीनी-भीनी सुगन्ध में अपने चित्त का तारतम्य बाह्य मण्डल से जोड़कर अपने विवेक और प्रज्ञा ज्ञान सेचीको सकारात्मक करने का प्रयास करें - आनन्द की अनुभूति होगी।

No comments:

Post a Comment