Saturday, June 11, 2011

अब मार्गी हो रहे हैं शनिदेव - बदलेंगे हालात

इन दिनों जो कुछ भी देखा और सुना, सब शनिदेव की ही कृपा है। राजनीति के ब़डे-ब़डे देव लुढ़क गए हैं और कुछ इंतजार में बैठे हैं। शनिदेव भी मजा ले रहे हैं। 13 जून तक जो करना है कर लेंगे, फिर मार्गी होकर राजनेताओं और घोटालेबाजों को विश्राम दे देंगे। उसके बाद वे फिर अपनी उसी मुद्रा मे आ जाएंगे और नए वर्ष के प्रारंभ से ही पुरानों के साथ नयों को भी चपेट मे ले लेंगे। पाकिस्तान भी थो़डे समय के लिए निश्चिन्त हो सकता है। अमेरिका थो़डा उदार हो जाएगा और जनवरी 2012 के बाद फिर से शनि और अमेरिका उसी मुद्रा मे आ जाएंगे। पर ऎसा नहीं है कि वे वक्री होकर ही यह सब करेंगे। मार्गी होकर थो़डे दिन वे लीबिया के आसमान पर रहेंगे। कर्नल गद्दाफी सावधान! हम 13 जून से जनवरी 2012 तक आपके यहां ही रहेंगे। हमारे स्वागत की तैयारी करो। हम आपको चैन से नहीं रहने देंगे।
हमने देखा है कि भारत के आंदोलनकारी वक्री शनि के काल मे कितने शक्तिशाली हो गए। वे अपनी शक्ति की पराकाष्ठा पर हैं और राजनेताओं से उन्होंने पंगा ले लिया है। बहुत सारे राजनेता धराशायी हो गए हैं और जेल गए हैं या सत्ता से बाहर हो गए हैं। मार्गी होने के बाद आंदोलनों की धार तो कमजोर हो जाएगी परन्तु और रचनात्मक आंदोलन चलेंगे। राजनेता अगर समझ रहे हों कि आंदोलन बंद होने से कुछ शांति आ जाएगी तो वे भ्रम में चल रहे हैं। अगली बार जब शनि वक्री होंगे अर्थात् 2012 की पहली छमाही में तो निर्णयकाल आ जाएगा और देश की जनता और सरकार के बीच कुछ सच्चाा लेन-देन होगा। जनता जीतेगी, सरकार हारेगी। कुछ घमंडी मंत्रियों को नीचे जमीन पर आना ही प़डेगा, कुछ मंत्रियों की विदाई शनिदेव ने अभी से तय कर दी है, बस थो़डा वक्त लगेगा और वे सम्मान के साथ जाते हुए दिखेंगे। परन्तु सच का ज्ञान उनको और जनता को दोनों को ही होगा। जो महायशस्वी थे और महाशक्तिशाली थे, शनिदेव ने अब उनको ठेंगा दिखा दिया है और अब उन्हें अपना रास्ता दिखने लग जाएगा। फिर यह शनि अकेले नहीं हैं, बृहस्पति मेष राशि में पहले से बैठे हैं और जैसे ही तुला मे शनि आएंगे अर्थात् नवम्बर 2011 के बाद, इन दिनों जो चल रहा है उसके परिणाम आना शुरू हो जाएंगे।
तुला राशि के शनि साधारण नहीं हैं। अपनी उच्चा राशि में आने पर वे अपने वर्ग को लाभ देंगे। निम्न जाति के लोग, सर्वहारा लोग, गरीब, मजदूर, दबे-कुचले लोग, छोटे कर्मचारी तथा शनि की वस्तुओं का व्यापार करने वाले लोग जैसे कि लोहा, तेल इत्यादि, यह सब लाभ में आएंगे परन्तु सामंतों को शनिदेव झटका देंगे। ब़डे-ब़डे मठाधीश गिर जाएंगे। हमने अभी-अभी देखा कि विधानसभा चुनाव में शनि ने चुपचाप टोपी बदल दी और जिसको उम्मीद भी नहीं थी, उसे पहना दी। टोपी का अर्थ हजारों करो़ड के वारे न्यारे होना है। भारत में आजकल लाखों करो़ड के वारे न्यारे होते हैं। शनि के लिए तो यह सब तुच्छ है परन्तु जिन्हें यह सब मिला है वे सब भगवान हो गए हैं। अपने आप को भगवान जैसे समझने लग गए हैं। उनका अहंकार टीवी और अखबार के माध्यम से जनता मे पहुंच जाता है। जनता हमेशा की तरह चुप रहती है। भारत की जनता मार खाती रहती है, खाती रहती है और फिर खुसर-फुसर करके चुप हो जाती है। फिर भी कुछ न कुछ हो जाता है और जो कुछ भी करते हैं शनिदेव ही करते हैं। कभी-कभी बृहस्पति देव भी वक्री होकर करामात करते हैं। वित्त जगत के घमासान तो बृहस्पति देवता करते हैं परन्तु राजनैतिक देवताओं का विस्थापन शुद्ध शनिदेव का कार्य है। वे सामंती संस्कारों से युक्त व्यक्तियों का भाग्य तय करते हैं और उन्हें शतरंज के मोहरों की तरह आगे-पीछे करते रहते हैं।
आप पाएंगे कि जब-जब बृहस्पति और शनि एक साथ वक्री होते हैं तो इतिहास में स्थान पाने वाली घटनाएं आती हैं। पर जब ये एक साथ वक्री नहीं होते और आगे-पीछे वक्री होते हैं तो उस एक साल की अवधि मे घटनाओं और आंदोलनों का तांता लग जाता है। इतिहास नहीं बदलते परन्तु फिर भी सरकारें आसानी से बदल जाती हैं। यह दोनों ग्रह देश का चरित्र बदल देते हैं और लाखों करो़डों लोगों का मन परिवर्तन करते हैं और मनोवैज्ञानिक धु्रवीकरण करते हैं। इससे सरकारों के भाग्य बदल जाते हैं।
अभी तक केवल कुछ मंत्री ही बदले की भावना से कार्य करते पाए गए हैं पर अब जबकि शनि, बृहस्पति, राहु और केतु सभी राशि बदलने पर आमादा हैं, और कुछ ने तो बदल भी ली है, अब दमनकारी और प्रतिशोध वृत्ति राष्ट्रीय क्षितिज पर भी देखने को मिलेगी। अगले चुनाव तक और उसके तुरन्त बाद आपको पता लगेगा कि लाखों लोग कानूनों के या प्रतिशोध के शिकार (ङक्iष्ह्लiद्व) हो गए हैं। अब विरोधी लोग फंसाएंगे और सजा दिलाएंगे। सब कुछ गर्त मे चला जाने वाला है। पहले तो प्रलय हो जाया करती थी और सब कुछ शुद्ध हो जाता था। फिर जो कुछ भी वापस आता वह शुद्ध सत्व होता था। अब चार लाख 32 हजार वर्ष के युग मे से केवल 5100 वर्ष ही कलियुग के बीते हैं। अभी जनता को बहुत गरल पीना है। क्रांति भारत में भी आएगी परन्तु अभी शायद शनिदेव का मूड इतना खराब नहीं हुआ है।

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