Wednesday, May 25, 2011

आद्राü प्रवेश

भारतीय मानक समयानुसार दिनांक 22 जून, 2011, बुधवार को सायँ: 16:06बजे सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस समय पूर्वी क्षितिज पर तुला लग्न उदित हो रही होगी एवं चंद्रमा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में और मीन राशि में रहेंगे।
तदनुसार वि. संवत् - 2068, आषाढ़ कृष्ण 7, बुधवार को आयुष्मान योग, बव करण में दिन चतुर्थ प्रहर में सूर्य आद्रा में प्रवेश करेंगे।
आद्रा प्रवेश के परिणाम (वर्तमान पंचांग पर आधारित) प्रवेश तिथि - सप्तमी : उत्तम पैदावार, सुख-शांति का वातावरण तथा उत्तम वर्षा हो।
प्रवेश वार - (बुधवार) : शिक्षा, अध्ययन-अध्यापन, वैदिक विद्याओं धर्म तथा कर्मकाण्ड से जु़डे लोगों का कल्याण हो।
प्रवेश समय - चंद क्षत्र : पूर्वाभाद्रपद - वातावरण आनंददायक रहे।
योग आयुष्मान : सत्तारूढ़ दल शासक वर्ग जनता की भलाई के कार्य करेंगे।
आद्राü प्रवेश लग्न : इस वर्ष 2011 में आद्राü प्रवेश के समय सूर्य चन्द्रमा परस्पर नवम-पंचम स्थिति में हैं। चंद्रमा कुंभ राशि में हैं और सूर्य मिथुन राशि में हैं। सूर्य चंद्र की यह स्थिति वर्षा की दृष्टि से बहुत उत्तम होती है। सूर्य दिन के अंतिम चौथे प्रहर में आद्राü नक्षत्र में आयेंगे। यह सुख-समृद्धि अच्छी पैदावार का लक्षण हैं।

आद्राü प्रवेश लग्न के स्वामी शुक्र अष्टम में हैं परंतु स्वगृही हैं तथा मंगल भी सूर्य से पिछली राशि में हैं, जो वर्षा की दृष्टि से उत्तम योग है।
निष्कर्ष: आद्राü प्रवेश कुण्डली के दिन चन्द्रमा कुंभ राशि में हैं और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में हैं। गुरू मेष राशि में हैं, जो बहुत भारी वर्षा के संकेत नहीं दे रहे हैं। जल राशियां विशेष्ा प्रभावशाली नहीं है जिसके कारण देश के कुछ भागों में गरज के साथ छींटे प़डेंगे तथा वर्षा भी होगी परन्तु उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में बहुत तेज वर्षा नहीं होगी इससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले मौसम में बहुत शानदार वर्षा होगी। मंगल लगातार सूर्य से पीछे बने हुए हैं, जिसके कारण बादल गरजने की संभावना बराबर बनी रहेगी। पूरे वर्षा के मौसम में मंगल सूर्य से पीछे-पीछे ही चल रहे हैं अत: वे वर्षाकाल में अवरोध नहीं बनेंगे। इस वर्ष रोहिणी वास भी समुद्र में होने के कारण काफी अच्छी वर्षा के योग भी बन रहे हैं। आद्राü प्रवेश के समय कुर्मचक्र में जो नक्षत्र प्रभावित हो रहे हैं, वे मध्य भारत में ही अच्छी वर्षा कराना चाहते हैं भारत के रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी वर्षा होगी और अन्य भू-भागों में भी अच्छी वर्षा होगी।
रोहिणी चक्र:

रोहिणी का वास : समुद्र में इस वर्ष रोहिणी का वास समुद्र में होने के कारण रोहिणी माली के घर में प्रवेश करेगी। माली का संकेतार्थ उस वर्ग से है, जो जायद रबी या जायद खरीफ फसल बोते हैं। इस का अर्थ यह है कि मार्च-अप्रैल में पकने वाली फसल के बाद वाली फसल जोकि कैश क्रोप कहलाती हैं तथा इसी तरह से बरसात के मौसम में उगने वाली फसलें, जिनमें फल, सब्जी इत्यादि बहुतायत से होते हैं। माली सामान्य किसान से हटकर अलग से होता है और फल-फूल-शाख में अधिक रूचि लेता है। यहाँ रोहिणी का संकेतार्थ हम लक्ष्मीजी से भी ले सकते हैं। लक्ष्मीजी माली के घर जाने का अर्थ यह है कि इन घरों में धन वृद्धि होगी या धन की आवक बढ़ेगी।

माली
वर्ग समूह से नये संदर्भ में हम उन सभी व्यवसाय करने वालों को ले सकते हैं, जिनको अत्यधिक वर्षा से लाभ हो रहा है। स़डक-नदी-नाले-बांध-पुल जब क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो उनसे जिन इंजीनियरों, ठेकेदारों या मजदूरों को लाभ होता है, उन्हें माली माना जा सकता है। इसी भांति बरसाती छाता, बरसाती कप़डे, स्कूल ड्रेस, नाव बनाने वाले, पुल बनाने वाले, मकानों में नुकसान होने के बाद काम करने वाला वर्ग, वाहनों इत्यादि की मरम्मत करने वाला वर्ग, इत्यादि सब माली की श्रेणी में आते हैं। ऎसे बहुत सारे और वर्ग हैं, जिन्हें अत्यधिक वर्षा के कारण लाभ पहुंचता है। देश का बहुत ब़डा मजदूर वर्ग इस श्रेणी में जाता है। इन सबको विशेष धन लाभ होगा।
सप्तऩाडी
चक्र : 7-8जून 2011 को चन्द्रमा अपनी ही ऩाडी मे रहेंगे, बुध अस्त रहेंगे और शनि हस्त नक्षत्र मे रहते हुए वक्री रहेंगे। जल नक्षत्रों में होने के कारण यह वर्षा देने मे सक्षम हैं और यह मानसून पूर्व वर्षा के संकेत हैं। पुन: 20 जून को चंद्रमा अपनी ही ऩाडी मे रहेंगे। बुध आद्राü नक्षत्र मे रहेंगे, शनि हस्त नक्षत्र में रहेंगे और सूर्य आद्राü नक्षत्र मे आने की तैयारी कर रहे होंगे। यह वर्षा के लक्षण हैं परन्तु खंड वर्षा होगी और सर्वत्र एक साथ नहीं होगी। आद्राü प्रवेश के दिन सूर्य आद्राü नक्षत्र में, बुध आद्राü में, चन्द्रमा पू.भा. में (नीरा ऩाडी में) तथा शनि हस्त में रहेंगे। यह वर्षा होने के संकेत हैं। इससे आगामी वर्षा का मौसम बिग़डने के संकेत हैं परन्तु रोहिणी का वास समुद्र में होने के कारण तथा सप्त ऩाडी चक्र जाग्रत रहने के कारण ऎसा नहीं होगा और वर्षा समय-समय पर होती रहेगी। इस मौसम में कुछ दिन ऎसे जाएंगे जब बहुत अधिक वर्षा होगी और कहीं-कहीं बाढ़ का असर देखने को मिलेगा। इस बार देश के कई क्षेत्रों मे जल प्लावन की स्थितियां बनेंगी। जुलाई के प्रथम दस दिन देशभर में भारी वर्षा के हैं।

1-7 से जुलाई तक अच्छी वर्षा होने के योग हैं। एक जुलाई को सूर्य और चंद्रमा आद्राü नक्षत्र में, बुध पुष्य नक्षत्र मे रहेंगे जो कि उनकी अपनी ही ऩाडी है और जल ऩाडी है तथा शनि हस्त नक्षत्र में रहकर वर्षा प्रदायक हैं।

4-7 जुलाई के बीच मे सूर्य आद्राü नक्षत्र मे और चंद्रमा आश्लेषा, बुध पुष्य नक्षत्र मे और शनि हस्त नक्षत्र में रहेगे और इस तरह से चंद्रमा दो दिन अपनी ही ऩाडी में रहेगे। चंद्रमा को दो दिन मिलेंगे 4 5 जुलाई परन्तु 5 जुलाई को शुक्र आद्राü नक्षत्र में आकर अपनी ही ऩाडी में जाएंगे और इस तरह से 5 जुलाई को देशभर मे भारी वर्षा के योग हैं। सूर्य 6जुलाई को दोपहर बाद पुनर्वसु नक्षत्र मे जाएंगे जिससे कि वे भी वर्षाकारक हो जाएंगे। चंद्रमा 7 जुलाई तक वर्षाकारक रहेंगे। इस समय देश के तटीय क्षेत्रों मे और बिहार जैसे राज्यों में बाढ़ जैसी स्थितियां रहेंगी। इस समय मुम्बई में भारी संकट चल रहा होगा। आंध्र प्रदेश के तटीय भागों मे जानमाल का नुकसान होने की संभावना है। रेगिस्तानी क्षेत्रों मे भी अच्छी वर्षा होगी। 11 जुलाई से चन्द्रमा यद्यपि चंडा ऩाडी में हैं परन्तु जल राशि में होने के कारण वर्षा कारक हैं। 11 से 13 जुलाई तक देश के कई भागों मे वर्षा होने की संभावना है। 15 जुलाई से 21 जुलाई के बीच में पुन: वर्षा होगी। इनमें से 16, 17, 18जुलाई को भारी वर्षा होने के संकेत हैं। इन दिनों शुक्र अस्त रहेंगे। शुक्र और चंद्रमा अपनी ही ऩाडी मे रहेंगे। इस समय कहीं-कहीं बिजली गिरने के संकेत हैं और पानी रूक-रूक कर बरसेगा। जुलाई के अंतिम दिनों में फिर भारी वर्षा होगी। इस अंक मे जून और जुलाई के वर्षा अनुमान दिए गए हैं। इससे अगले अंक में अगस्त और सितम्बर के वर्षा अनुमान दिए जाएंगे।

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