मेरी बुआ सास प्राय: घर के सामने के पेड़ पर कौए के आकर बैठने पर कहती थीं कि कोई रिश्तेदार आने ही वाला है। हंस या कबूतर तो संकेत ले जाकर देते हैं या प्रिय की चि_ी ले जाते देखे हैं पर कौए को लेकर कम सुना था। हिन्दी फिल्म ‘गदर’ एक प्रेम कहानी में सन्नी देओल पर एक गाना फिल्माया गया है उसमें भी लोककथा के आधार पर कौए को प्रेमी का संदेश ले जाते हुए बताया गया है। भारतीय समाज ऐसी बातों से बहुत प्रभावी होता है। आनंद बक्षी के गीत में उत्तम सिंह के संगीत में इस गाने को हिट बना दिया था। ‘उड़ जा काले कांवा तेरे, मुंह बिच खंड पांवा, लै जा तू संदेशा मेरा, मै सदके जांवां।।’ जैसी पंक्तियां ने गाने को लोकप्रिय बना दिया था।
मैं जब ज्योतिष पढ़ाने लगी तो कौए पर और भी जानकारी मिली। उनमें से कुछ की चर्चा मैं यहां कर रही हँू। यह सब जानकारी वराह मिहिर की रचना वृहत संहिता से ली गई है।
प्राय: दक्षिण दिशा में कौए को शुभ माना गया है। वैशाख मास में जब कौआ वृक्ष के ऊपर घोंसला बनाए तो वर्षा आने का संकेत होता है पर यदि कौआ किसी कांटेदार या सूखे हुए वृक्ष पर घोसला बनाए तो अकाल पड़ता है। यदि कौआ सरकंडा, लताएं, अनाज, मकान की छत पर या कहीं जमीन पर घोंसला बनाए तो उस देश या राज्य में अकाल व अपराध जन्म लेते हैं। यदि कौआ दो-तीन या चार अण्डे दें तब शुभ माना जाता है, पांच देने पर या अण्डा टूट जाए या एक ही अण्डा हो या अण्डा हो ही नहीं उसे अमंगल कार्य माना गया है। यदि कौआ गाँव या शहर के बीच में आकर बहुत अधिक आवाज करे तो भी दुर्भिक्ष होता है। यदि कौआ निर्भय होकर कौंच, पंजों, पंखों से मनुष्य पर आक्रमण करे तो शत्रु पैदा होते हैं। यदि कौआ रात में उड़ता हुआ पाया जाए तो जन-धन हानि होती है। यदि शैया के ऊपर हड्डी, भस्म, बाल या पत्ते लेकर कौआ डाल दे तो बहुत अशुभ होता है परंतु फल-फूल इत्यादि डाले तो घर में शुभ होता है। कौआ रेत, अनाज, गीली मिट्टी, फूल या फल मुंह में भरकर अपने घर तक आ जाए तो मान लीजिए एक लॉटरी लगने वाली है परंतु हमारे घर से यही सब चीजें कहीं दूर लेकर चला जाए तो उस वस्तु का नाश होता है। उजड़े हुए पेड़ों में बैठकर कौआ भयंकर शब्द करे तो महान विपत्ति आने वाली होती है। सूर्य की तरफ देखकर कौआ आवाज करे तो सरकारी लोगों से कष्ट आता है परंतु पूर्व दिशा की ओर देखता हुआ कौआ शांति पूर्वक आवाज करे तो राजपुरुष व मित्रता का आगमन तथा धन व भोजन का लाभ मिलता है। शांत होकर कौए का किसी दिशा में देखना अच्छा माना गया है।
यदि कान जितनी ऊंचाई पर कौआ उड़े तो उसे अच्छा तो माना गया है परंतु कार्य सिद्धि नहीं होती है। यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति के सामने शब्द करता हुए कौआ आ जाए तो उसे यात्रा में विघ्न उत्पन्न होता है। यात्रा करने वाले के सामने बांयें चलकर दांयें तरफ आ जाए तो धन नाश होता है परंतु कौआ पहले दक्षिण दिशा में आवाज करे और बाद में उड़कर यात्री के बांयें तरफ आकर शब्द करे तो धन प्राप्ति कराता है। बांयें तरफ से उड़कर आवाज करता हुआ कौआ यात्री के पीछे चला जाए और बार-बार आवाज करे तो उसे धनप्रदायक शकुन माना जाता है। इसी भाँति यदि दांयें तरफ से शब्द करता हुआ आगे कहीं चला जाए तो बहुत धन लाभ कराने वाला होता है। यदि कौआ एक पैर पर खड़ा होकर सूर्य को देखते-देखते अपनी चोंच से पंखों को खुरेजे तो घर के प्रधान पुरुष के लिए मृत्यु भय होता है।
हरे या शुभ वृक्ष पर बैठा कौआ आवाज करें तो शुभ फल देता है परंतु उजड़े हुए वृक्ष पर या कांटेदार वृक्ष पर बैठा हुआ कौआ काम बिगाड़ता है। यदि कटे हुए वृक्ष के सबसे ऊपर कौआ बैठा हो तो शरीर का कोई अंग तक कट सकता है। यदि दो कौए परस्पर एक-दूसरे के मुंह में भोजन देते हों तो यात्री की यात्रा बहुत अच्छी जाती है। स्त्री के सिर पर घड़ा रखा हो और उस पर कौआ बैठ जाए तो अत्यंत शुभ माना गया है।
कौए की शुभ स्थितियाँ : घोड़े पर बैठा हुआ, सफेद फूल, अर्पित वस्तु और माँस को मुख में लेकर शब्द करे। घड़े पर बीट करना, कौए का कड़वा बोलना।
शकुन के शुभ व अशुभ होने के अलावा यह भी निर्णय करना होता है कि वह कब फल देगा? यात्रा आदि के आरंभ काल में जिस तरह का शकुन दिखाई देता है उसी तरह से कार्य के अंत तक शुभ-अशुभ फल होता है। किसी कार्य के होते हुए भी यदि मध्यम फल दिखाई दें तो उसका फल तो उसी दिन आ जाता है। ऐसे किसी भी शुभ शकुन के बीच में छींक आ जाए तो उसे अशुभ माना गया है।
कई विद्वानों ने यह बताया है कि कुछ किलोमीटर चलने के बाद शकुन का फल निष्फल हो जाता है। कश्यप ऋषि ने अशुभ शकुन के निवारण के लिए कहा है कि यदि पहला शकुन अशुभ हो तो ग्यारह प्राणायाम करना चाहिए। यदि दूसरा शकुन अशुभ हो तो सोलह प्राणायाम करना चाहिए। यदि तीसरा शकुन भी अशुभ हो तो वापिस घर लौट आना चाहिए। ज्यादातर ऋषियों ने व्यवस्था दी है कि अशुभ शकुन हो तो वापस आकर दुबारा ही मुहूत्र्त निकालना चाहिए।
अन्य पक्षियों के शकुन : कबूतर का वाहन, आसन और शैया पर बैठना तथा घर में प्रवेश करना मनुष्य के लिए अशुभ माना गया है। सफेद कबूतर का फल एक वर्ष में चितकबरे कबूतर का फल छ: महीने में तथा धूम्र वर्ण के कबूतर का फल तुरंत ही होता है। हरियल पक्षी, भारद्वाज पक्षी व स्यामा पक्षी का स्वर शुभ माना गया है। खंजन पक्षी, कमल, घोड़ा, हाथी और सर्प के मस्तिष्क पर दिखाई दे तो राज्य देने वाला होता है। पवित्र स्थान या हरी घास पर दिखाई दे तो बहुत शुभ होता है परंतु भस्म, हड्डी, घास या तीण पर दिखाई दें तो एक वर्ष तक कठिनाई आती है। रात्रि में मुर्गें की बांग को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के स्वर अशुभ माने गए है। सारस पक्षी का जोड़ा अगर एक साथ शब्द करे तो शुभ माना गया है।
पशुओं के शकुन : दिनचर जीव यदि रात में गमन करे और रात्रिचर जीव यदि दिन में गमन करें तो उन्हें अशुभ माना गया है। यात्रा करने वाले के लिए बंदर का आवाज करना अच्छा नहीं माना गया है। मनुष्य, घोड़ा, हाथी, घड़ा, आकड़े का पेड़, छत, शैया, आसन, ध्वज, दूब और फूल वाले स्थान पर मूत्र करके यदि कुत्ता यात्रा करने वालों से आगे चला जाए तो अत्यंत शुभ माना गया है परंतु वहीं कुत्ता यदि विष वृक्ष, कांटेदार वृक्ष, पत्थर, काठ, सूखे वृक्ष या श्मशान में हड्डी पर पैर रखकर आगे चला जाए तो अशुभ माना गया है। इसी तरह से कुत्ता मुंह में जूता लेकर यात्री के समीप आ जाए तो कार्यसिद्धि, माँस लेकर आ जाए तो धन प्राप्ति, गीली हड्डी लेकर आ जाए तो अत्यंत शुभ परंतु गली हुई लकड़ी या सूखा मांस लेकर आ जाए तो अशुभ फल उत्पन्न करता है। यदि किसी मनुष्य का सिर, हाथ, पैर जैसा कोई अंग मुंह में लेकर आ जाए तो भूमि की प्राप्ति बताई गई है परंतु कोई वस्त्र या छाल इत्यादि लेकर आ जाए तो अत्यंत अशुभ होता है। सूखी हड्डी को लेकर कुत्ता घर में आ जाए तो अत्यंत अशुभ माना गया है। यदि यात्री के पांव चाटे या अपने कान को पटके हुए यात्री के ऊपर चढऩे की चेष्टा करे तो यात्रा में विघ्न होता है। कुत्ता यात्री के मार्ग का विरोध करे या अपने अंगों को खुजाए तो यात्रा में विरोध उत्पन्न होता है। इसी प्रकार चाहे यात्री हो और स्थिर मनुष्य हो, उसके आगे ऊपर पाँव करके कुत्ता सो जाए तो अशुभ माना गया है। यदि सूर्योदय के समय ऊपर मुंह करके कई कुत्ते एक साथ रोएं तो स्वामित्व में परिवर्तन आता है। रात्रि में भी कुत्ता का रोना अशुभ माना गया है। यदि कुत्ता मकान के द्वार पर सिर रख ले और बाहर शरीर को रख लें तथा गृहिणी को देखकर बार-बार रोए तो चरित्र पतन की निशानी होती है। यदि अनाज वाले स्थान को कुत्ता खोदे तो अन्न की प्राप्ति होती है। गाय के साथ कुत्ते का खेलना अत्यंत शुभ माना गया है। गाँव या मौहल्ले के मध्य में कुत्ते का शब्द अशुभ लाता है परंतु वृक्ष के समीप कुत्ता आवाज करे तो वर्षा आती है।
पांव से पृथ्वी को खुजाने वाली गाय या अश्रुपूर्ण नेत्र वाली गाय अशुभ फल देती है। मक्खियों से घिरी गाय या कुत्ते के बच्चों से घिरी हुई गाय शीघ्र वर्षा लाती है। बैल रात्रि में शब्द करे तो अत्यंत शुभ माना गया है। मधुर शब्द करती हुई गाय या भैंस बहुत शुभ करती है।
मैं जब ज्योतिष पढ़ाने लगी तो कौए पर और भी जानकारी मिली। उनमें से कुछ की चर्चा मैं यहां कर रही हँू। यह सब जानकारी वराह मिहिर की रचना वृहत संहिता से ली गई है।
प्राय: दक्षिण दिशा में कौए को शुभ माना गया है। वैशाख मास में जब कौआ वृक्ष के ऊपर घोंसला बनाए तो वर्षा आने का संकेत होता है पर यदि कौआ किसी कांटेदार या सूखे हुए वृक्ष पर घोसला बनाए तो अकाल पड़ता है। यदि कौआ सरकंडा, लताएं, अनाज, मकान की छत पर या कहीं जमीन पर घोंसला बनाए तो उस देश या राज्य में अकाल व अपराध जन्म लेते हैं। यदि कौआ दो-तीन या चार अण्डे दें तब शुभ माना जाता है, पांच देने पर या अण्डा टूट जाए या एक ही अण्डा हो या अण्डा हो ही नहीं उसे अमंगल कार्य माना गया है। यदि कौआ गाँव या शहर के बीच में आकर बहुत अधिक आवाज करे तो भी दुर्भिक्ष होता है। यदि कौआ निर्भय होकर कौंच, पंजों, पंखों से मनुष्य पर आक्रमण करे तो शत्रु पैदा होते हैं। यदि कौआ रात में उड़ता हुआ पाया जाए तो जन-धन हानि होती है। यदि शैया के ऊपर हड्डी, भस्म, बाल या पत्ते लेकर कौआ डाल दे तो बहुत अशुभ होता है परंतु फल-फूल इत्यादि डाले तो घर में शुभ होता है। कौआ रेत, अनाज, गीली मिट्टी, फूल या फल मुंह में भरकर अपने घर तक आ जाए तो मान लीजिए एक लॉटरी लगने वाली है परंतु हमारे घर से यही सब चीजें कहीं दूर लेकर चला जाए तो उस वस्तु का नाश होता है। उजड़े हुए पेड़ों में बैठकर कौआ भयंकर शब्द करे तो महान विपत्ति आने वाली होती है। सूर्य की तरफ देखकर कौआ आवाज करे तो सरकारी लोगों से कष्ट आता है परंतु पूर्व दिशा की ओर देखता हुआ कौआ शांति पूर्वक आवाज करे तो राजपुरुष व मित्रता का आगमन तथा धन व भोजन का लाभ मिलता है। शांत होकर कौए का किसी दिशा में देखना अच्छा माना गया है।
यदि कान जितनी ऊंचाई पर कौआ उड़े तो उसे अच्छा तो माना गया है परंतु कार्य सिद्धि नहीं होती है। यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति के सामने शब्द करता हुए कौआ आ जाए तो उसे यात्रा में विघ्न उत्पन्न होता है। यात्रा करने वाले के सामने बांयें चलकर दांयें तरफ आ जाए तो धन नाश होता है परंतु कौआ पहले दक्षिण दिशा में आवाज करे और बाद में उड़कर यात्री के बांयें तरफ आकर शब्द करे तो धन प्राप्ति कराता है। बांयें तरफ से उड़कर आवाज करता हुआ कौआ यात्री के पीछे चला जाए और बार-बार आवाज करे तो उसे धनप्रदायक शकुन माना जाता है। इसी भाँति यदि दांयें तरफ से शब्द करता हुआ आगे कहीं चला जाए तो बहुत धन लाभ कराने वाला होता है। यदि कौआ एक पैर पर खड़ा होकर सूर्य को देखते-देखते अपनी चोंच से पंखों को खुरेजे तो घर के प्रधान पुरुष के लिए मृत्यु भय होता है।
हरे या शुभ वृक्ष पर बैठा कौआ आवाज करें तो शुभ फल देता है परंतु उजड़े हुए वृक्ष पर या कांटेदार वृक्ष पर बैठा हुआ कौआ काम बिगाड़ता है। यदि कटे हुए वृक्ष के सबसे ऊपर कौआ बैठा हो तो शरीर का कोई अंग तक कट सकता है। यदि दो कौए परस्पर एक-दूसरे के मुंह में भोजन देते हों तो यात्री की यात्रा बहुत अच्छी जाती है। स्त्री के सिर पर घड़ा रखा हो और उस पर कौआ बैठ जाए तो अत्यंत शुभ माना गया है।
कौए की शुभ स्थितियाँ : घोड़े पर बैठा हुआ, सफेद फूल, अर्पित वस्तु और माँस को मुख में लेकर शब्द करे। घड़े पर बीट करना, कौए का कड़वा बोलना।
शकुन के शुभ व अशुभ होने के अलावा यह भी निर्णय करना होता है कि वह कब फल देगा? यात्रा आदि के आरंभ काल में जिस तरह का शकुन दिखाई देता है उसी तरह से कार्य के अंत तक शुभ-अशुभ फल होता है। किसी कार्य के होते हुए भी यदि मध्यम फल दिखाई दें तो उसका फल तो उसी दिन आ जाता है। ऐसे किसी भी शुभ शकुन के बीच में छींक आ जाए तो उसे अशुभ माना गया है।
कई विद्वानों ने यह बताया है कि कुछ किलोमीटर चलने के बाद शकुन का फल निष्फल हो जाता है। कश्यप ऋषि ने अशुभ शकुन के निवारण के लिए कहा है कि यदि पहला शकुन अशुभ हो तो ग्यारह प्राणायाम करना चाहिए। यदि दूसरा शकुन अशुभ हो तो सोलह प्राणायाम करना चाहिए। यदि तीसरा शकुन भी अशुभ हो तो वापिस घर लौट आना चाहिए। ज्यादातर ऋषियों ने व्यवस्था दी है कि अशुभ शकुन हो तो वापस आकर दुबारा ही मुहूत्र्त निकालना चाहिए।
अन्य पक्षियों के शकुन : कबूतर का वाहन, आसन और शैया पर बैठना तथा घर में प्रवेश करना मनुष्य के लिए अशुभ माना गया है। सफेद कबूतर का फल एक वर्ष में चितकबरे कबूतर का फल छ: महीने में तथा धूम्र वर्ण के कबूतर का फल तुरंत ही होता है। हरियल पक्षी, भारद्वाज पक्षी व स्यामा पक्षी का स्वर शुभ माना गया है। खंजन पक्षी, कमल, घोड़ा, हाथी और सर्प के मस्तिष्क पर दिखाई दे तो राज्य देने वाला होता है। पवित्र स्थान या हरी घास पर दिखाई दे तो बहुत शुभ होता है परंतु भस्म, हड्डी, घास या तीण पर दिखाई दें तो एक वर्ष तक कठिनाई आती है। रात्रि में मुर्गें की बांग को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के स्वर अशुभ माने गए है। सारस पक्षी का जोड़ा अगर एक साथ शब्द करे तो शुभ माना गया है।
पशुओं के शकुन : दिनचर जीव यदि रात में गमन करे और रात्रिचर जीव यदि दिन में गमन करें तो उन्हें अशुभ माना गया है। यात्रा करने वाले के लिए बंदर का आवाज करना अच्छा नहीं माना गया है। मनुष्य, घोड़ा, हाथी, घड़ा, आकड़े का पेड़, छत, शैया, आसन, ध्वज, दूब और फूल वाले स्थान पर मूत्र करके यदि कुत्ता यात्रा करने वालों से आगे चला जाए तो अत्यंत शुभ माना गया है परंतु वहीं कुत्ता यदि विष वृक्ष, कांटेदार वृक्ष, पत्थर, काठ, सूखे वृक्ष या श्मशान में हड्डी पर पैर रखकर आगे चला जाए तो अशुभ माना गया है। इसी तरह से कुत्ता मुंह में जूता लेकर यात्री के समीप आ जाए तो कार्यसिद्धि, माँस लेकर आ जाए तो धन प्राप्ति, गीली हड्डी लेकर आ जाए तो अत्यंत शुभ परंतु गली हुई लकड़ी या सूखा मांस लेकर आ जाए तो अशुभ फल उत्पन्न करता है। यदि किसी मनुष्य का सिर, हाथ, पैर जैसा कोई अंग मुंह में लेकर आ जाए तो भूमि की प्राप्ति बताई गई है परंतु कोई वस्त्र या छाल इत्यादि लेकर आ जाए तो अत्यंत अशुभ होता है। सूखी हड्डी को लेकर कुत्ता घर में आ जाए तो अत्यंत अशुभ माना गया है। यदि यात्री के पांव चाटे या अपने कान को पटके हुए यात्री के ऊपर चढऩे की चेष्टा करे तो यात्रा में विघ्न होता है। कुत्ता यात्री के मार्ग का विरोध करे या अपने अंगों को खुजाए तो यात्रा में विरोध उत्पन्न होता है। इसी प्रकार चाहे यात्री हो और स्थिर मनुष्य हो, उसके आगे ऊपर पाँव करके कुत्ता सो जाए तो अशुभ माना गया है। यदि सूर्योदय के समय ऊपर मुंह करके कई कुत्ते एक साथ रोएं तो स्वामित्व में परिवर्तन आता है। रात्रि में भी कुत्ता का रोना अशुभ माना गया है। यदि कुत्ता मकान के द्वार पर सिर रख ले और बाहर शरीर को रख लें तथा गृहिणी को देखकर बार-बार रोए तो चरित्र पतन की निशानी होती है। यदि अनाज वाले स्थान को कुत्ता खोदे तो अन्न की प्राप्ति होती है। गाय के साथ कुत्ते का खेलना अत्यंत शुभ माना गया है। गाँव या मौहल्ले के मध्य में कुत्ते का शब्द अशुभ लाता है परंतु वृक्ष के समीप कुत्ता आवाज करे तो वर्षा आती है।
पांव से पृथ्वी को खुजाने वाली गाय या अश्रुपूर्ण नेत्र वाली गाय अशुभ फल देती है। मक्खियों से घिरी गाय या कुत्ते के बच्चों से घिरी हुई गाय शीघ्र वर्षा लाती है। बैल रात्रि में शब्द करे तो अत्यंत शुभ माना गया है। मधुर शब्द करती हुई गाय या भैंस बहुत शुभ करती है।
Dear sir,
ReplyDeleteIn the above post under अन्य पक्षियों के शकुन u have mentioned about धूम्र वर्ण के कबूतर का फल. In my case it was happened.
Can you guide with remedies or how can we take care in such situation.
Lastly
i really afraid of birds now can i have a pet or its not good for me?
Eagle ka sir par bethna kesa Sankey h
ReplyDeleteEagle ka sir par bethna kesa Sankey h
ReplyDeleteKauwa ka pair par bit karna kaisa hai shubh yeah?
ReplyDeleteAgar kawua zakhmi pairo mai akar gir jaye To kya sanket h?
ReplyDeleteAgar kawua zakhmi pairo mai akar gir jaye To kya sanket h?
ReplyDeleteMari gadi me ale Ek nanha Kouwa began Gaya hai Aur gadi se nahi n.a. raha sahi baitha hai I'd nahi raha
ReplyDeleteMere ghar ke aage roj raat ko ak gau mata akr bethti he....jb hum sone jate he to wo roj kuch na kuch kha kr chali jaati he sone ke time hamare...jb tk bethi rhti h kb tk hum nhi sote....aesa 2 saal se ho rha he ku...????
ReplyDeleteKauve Ka chat par metal Ka diya Rakh Kar Jana Kaisa HOTA hai
ReplyDeleteMere peeth pr kabutar baith gya ye subh h ya asubh
ReplyDeleteMor K kandhe m baitha kya h
ReplyDeletePls reply
ReplyDeleteChhat par jakhmi kabutar aaya
ReplyDeleteSir aaj ek kauwa ld gya aake mere face pr
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