Friday, May 21, 2010

Recession Outgoing









पूरे संसार मे इन दिनों एक ही चर्चा है कि क्या मंदी और रहेगी क्या यह महामंदी है क्या कुछ देश मंदी के दौर से निकल गए है भारत जैसे कुछ देशों के बारे मे यह कहा जा रहा है कि वे मंदी से सफलतापूर्वक निकल गए हैं। हम ज्योतिष के आधार पर कुछ तलाश करते हैं क्योंकि वित्त के स्वामी बृहस्पति अब अपनी ही राशि मीन में चुके हैं।
बृहस्पति
ग्रह 2 मई से मीन राशि में गए हैं और 8मई 2011 तक मीन राशि में रहेंगे। बीच में केवल कुछ दिनों के लिए वे वक्री होकर पुन: कुंभ राशि में आएंगे तथा इस राशि में 1 नवम्बर से 6दिसम्बर तक रहेंगे। मंदी, आंतरिक और बाह्य व्यापार तथा बैंकों की सफलता-असफलता में बृहस्पति असाधारण योगदान करेंगे। बृहस्पति 12 वर्ष में पुन: मीन राशि पर आए हैं और इनके व्यापक प्रभाव होगे। इस लेख में हम बृहस्पति के साथ-साथ कुछ अन्य ग्रहों का प्रभाव मिलाकर उस समय की गणना कर रहे हैं जब बाजार में धन की आवक होगी और उद्योग व्यवसाय फलेंगे-फूलेंगे।
बृहस्पति
जून के प्रथम सप्ताह में सिंह नवांश मे हैं और लगभग उसी समय शुक्र अपनी ही राशि वृषभ के नवांश मे हैं, शनि कुंभ नवांश में हैं। यह एक अच्छी स्थिति है और बाजार के उठने की सूचना है। इस समय लेन-देन उच्चा स्तर का होगा, मार्केट में बहुत पैसा आएगा और वह पैसा कुछ तो बैंकों में जाएगा, कुछ शेयर बाजार में, कुछ जेवरात में और बाकी मकान निर्माण की गतिविधियों में। इस कारण से जून प्रथमार्द्ध में थो़डी सी महंगाई बढ़ेगी क्योंकि रूपए की क्रय शक्ति कम हो जाएगी और जिस वर्ग को फायदा होने वाला है वह है भवन निर्माण सामग्री के निर्माता, सीमेंट और पत्थर उद्योग, लोहा उद्योग, कप़डा उद्योग, खाद्य पदार्थ उद्योग तथा फिल्म उद्योग। जितना भी सरप्लस पैसा है वह इन सब उद्योगों में जाएगा और इन से संबंधित शेयरों के दाम बढ़ेंगे। यह सब उद्योग एक झटके में मंदी के असर से एकदम बाहर जाएंगे।
जून
के तीसरे सप्ताह में फिर बहुत खर्चा होगा परन्तु बृहस्पति कन्या नवांश में रहते हुए मीन को देखेंगे, अत: बैंक अपनी नीतियों में संशोधन के माध्यम से लोगों को लाभ देंगे। इन दिनों बैंकों में बहुत पैसा भी आएगा और लोग वेन्चर कैपिटल प्राप्त करने की कोशिश करेंगे तथा बहुत सारे नए लोग शेयरों में अपना पैसा निवेश करेंगे। बृहस्पति वक्री होकर कर्क नवांश में पुन: 30 सितम्बर को प्रवेश करेंगे। उन दिनों शुक्र भी उच्चा नवांश में होगे, सूर्य, मेष नवांश में होंगे, बुध, धनु में रहकर अपनी ही राशि को देखेंगे और शनि अपनी ही राशि कुंभ को देखेंगे क्योंकि इस समय बृहस्पति राहु के साथ रहेंगे और करीब-करीब पूरे एक महीना कर्क नवांश मे रहते हुए बाजार को और व्यवसाय को काफी उठा देंगे। इससे पहले कि वे ब़डी महंगाई को जन्म दें और अनाज के भाव कम करें, बृहस्पति मुद्रास्फीति बढ़ाएंगे और काम धंधों को गति देंगे और देश की अर्थव्यवस्था एक अच्छे दौर में पहुंच जाएगी। इस समय केवल सरकार का बहुत ब़डा पैसा बाजार मे आएगा बल्कि आमजन का भी बहुत ब़डा पैसा बाजार में आएगा। बृहस्पति पुन: मिथुन नवांश में 11 दिसम्बर तक रहेंगे और यह समय व्यापारिक कलाबाजियों के लिए श्रेष्ठ है। बृहस्पति, शनि और बुध कर्क नावांश में रहते हुए मकर में बैठे हुए शुक्र से देखे जाते हैं और यह समय आर्थिक गतिविधियों में बहुत उछाल लाने वाला है, सोने में तेजी आएगी, शेयरों में भयानक तेजी आएगी, कुछ शेयर डूब जाएंगे तो कुछ शेयर मालामाल कर देंगे। ब़डी कम्पनियों में गलाकाट प्रतियोगिता होगी और कम्पनियां एक-दूसरे को डुबोने की हो़ड मे जुट जाएंगी। यह समय है जब टाटा, बि़डला, टेलीकॉम कम्पनियां, भवन निर्माण कम्पनियां, दवा कम्पनियां, हीरे, जवाहरात से संबंधित कम्पनियां अपनी व्यावसायिक कलाबाजियां खाएंगी और इनके शेयरों के दाम बढ़ेंगे। इस समय तीन या चार देश की नामी कम्पनियां शेयर बाजार पर नियंत्रण स्थापित करने की चेष्टा में रहेगी। निफ्टी और सेंसेक्स के आंक़डे हकीकत से दूर रहेंगे और कुछ ब़डे घरानों की गतिविधियों के शिकार हो जाएंगे। दिसम्बर मध्य जबकि सूर्य, बुध, मंगल और राहु धनु राशि में स्थित रहेंगे तथा भारत की कुंडली के अष्टम भाव में रहेगे, विदेश व्यापार के शानदार परिणाम आने की संभावना है परन्तु यही वह समय जब कुछ व्यापारिक कम्पनियां डूब जाएंगी और बैंकों पर भी गहरा असर आएगा। दिसम्बर के तीसरे सप्ताह में वक्री बुध देश की आर्थिक गतिविधियों को चरम सीमा पर ले जाएंगे और काफी धनलाभ होगा। कई कम्पनियां अपनी पूंजीकरण की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाएंगी और उसका लाभ उठाएंगी। इस सयम सरकारी उपाय बहुत कारगर होंगे। बृहस्पति दिसम्बर के आखिरी दो सप्ताहों में मीन राशि के प्रारम्भिक अंशों में जाएंगे और बृहस्पति से केन्द्र में बृहस्पति सहित सात ग्रह रहने के कारण मंदी के दौर से निकलने मे मदद करेंगे।
दिसम्बर के आखिरी भाग में बुध ग्रह धनु मे रहकर वक्री होंगे इसलिए दुनिया के महान देश अपनी मौद्रिक नीतियों में परिवर्तन लाएंगे। चूंकि वक्री बुध मिथुन राशि को देख रहे हैं इसलिए मिथुन राशि अमेरिका की होने के कारण अमेरिकी सरकार के किए गए कुछ उपाय कारगर हो जाएंगे और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को इससे ब़डी मदद मिलेगी। इसी समय शुक्र अपनी स्वराशि तुला मे रहेगे जिसके कारण फिल्म व्यवसाय, इवेंट मैनेजमेंट, जवाहरात, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, इंटरनेट कम्पनियां, वेबसाइट्स, टेलीकॉम कम्पनियां, एजुकेशन, एनर्जी फूड, पैक्ड फूड, चम़डा उद्योग, मसाला उद्योग, मुख्य अन्न उत्पादक कम्पनियां, आयुर्वेद, भूमि-भवन उद्योग सफल हो जाएंगे और इनमें काफी पैसा आएगा। इस समय बैंक भी बहुत उदार होकर पैसे बांटेंगे। इससे मंदी के दौर से उबरने में मदद मिलेगी।
शनि
कन्या राशि में रहते हुए 2010 के आखिरी महीनों में कर्क नवांश में रहते हुए अपनी दंडनायक की भूमिका को बढ़ा लेंगे और कुछ लोगों के पतन का कारण बनेंगे। शनि चूंकि मकर राशि को देख रहे हैं और अनाज उत्पादन में उनका ब़डा योगदान है अत: मसालों से संबंधित फसलों को छो़डकर शेष फसलों मे उत्पादन में वृद्धि होगी और महंगाई भी इतनी कम नहीं होगी जितनी कि कल्पना की जा रही होगी।
मीन
राशि के बृहस्पति 24 जुलाई से 18नवम्बर 2010 तक वक्री रहने के दौरान अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख देंगे तथा शेयर बाजार भारी ऊंच नीच देखेंगे। इस समय कम्पनियों को अति सावधानी बरतनी चाहिए तथा निवेशकों को और भी ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए कि कहीं वे कुछ लोगों के प्रचार तंत्र का शिकार नहीं हो जाएं। इसी अवधि में भारत में सकल राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि के संकेत मिलेंगे और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत का प्रतिशत बढ़ेगा। निर्यात की आय काफी अधिक होगी तथा बहुत कोशिश के बाद भी आयात कम करने में सफलता नहीं मिलेगी। नवम्बर के प्रथमार्द्ध में जब शुक्र वक्री रहेंगे और सूर्य के साथ रहेंगे तथा बुध भी उनको सहयोग करेगे तब केमिकल कम्पनियां, चम़डा उद्योग, स्वर्ण आभूषण, जवाहरात, सॉफ्टवेयर, भवन निर्माण उद्योग, स्टील उद्योग, धातुएं तथा मसाले जोर पक़डेंगे। इस समय बैंक अपनी नीतियों में परिवर्तन लाएंगे और काफी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। इस समय लगेगा कि रूपए की क्रयशक्ति बढ़ रही है और लोग बाजार में खर्च भी करना चाहते हैं। इसका शाब्दिक अर्थ यह निकला कि लोग बुद्धिमानीपूर्वक निवेश करेंगे और इससे बाजार मे एक अच्छा संतुलन बना रहेगा। बैंक इस वर्ष भारी लाभ में जाने वाले हैं और देश की अर्थव्यवस्था पर उनका गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा।
शनिदेव
नए वर्ष के प्रारंभ में वक्री होकर फिर उठापटक कराएंगे परन्तु उससे पूर्व मीन राशि के बृहस्पति इतना कुछ दे चुके होंगे कि लोगों में और बैंकों में घबराहट नहीं रहेगी। अभी बृहस्पति कुछ और महीने मीन राशि में रहेगे और देश को पर्याप्त स्थायित्व दे जाएंगे।
मेदिनी
ज्योतिष में 2010 में कुछ विचित्र विरोधाभास देखने को मिल रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक वर्षा के सामान्य रहने की भविष्यवाणी कर रहे हैं जबकि रोहिणी का वास पर्वत पर होने के कारण खण्डवृष्टि के योग बनेंगे। कहीं पर बहुत अधिक वर्षा होगी तो कहीं पर अकाल प़डेगा। तूफान और चक्रवातों से नुकसान होगा। विषम वर्षा से आम आदमी को नुकसान और वैश्य वर्ग को लाभ होता है। फलत: खाद्य वितरण प्रणाली और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सहारा सरकार को लेना प़डेगा और उसके कारण लॉ एण्ड ऑर्डर की समस्याएं अधिक उत्पन्न होंगी।
सन्
2010 की शेष अवधि में बृहस्पति के वक्री होने के समय जुलाई से नवम्बर तक दो-तीन बैंक बिक जाएंगे या उनका विलय हो जाएगा तथा बाजार पूंजीकरण का धु्रवीकरण होगा और कुछ ब़डे घराने ही पूंजी बटोरते नजर आएंगे। अत्यधिक महंगाई का लाभ भी ब़डे घरानो को ही जाएगा। आम उपभोक्ता उत्पादों पर अब ब़डे घरानों का ही नियंत्रण है इसलिए पूंजीकरण की प्रक्रिया में अंतिम उपभोक्ता से पैसा बटोर कर या शेयरों के माध्यम से कम्पनियों में पंूजी वृद्धि देखने को मिलेगी। उसके अनुपात में बोनस या डिविडेंड देखने को नहीं मिलेंगे।
2010 की शेष अवधि में शुक्र अच्छी राशियों में होने के कारण टेलीकम्युनिकेशन कम्पनियां फलेंगी-फूलेंगी, उनके शेयर भावों में वृद्धि होगी और मोबाइल कम्पनियां लाभ कमाएंगी। 2011 में तो जैसे संचार क्षेत्रों में क्रांति सी जाएगी परन्तु इससे पूर्व कम्पनियां अपने विस्तार कार्य के लिए अपने निर्गम लाएंगी और धन इकट्ठा करेंगी।
कुल
मिलाकर ऎसा प्रतीत होगा कि मंदी का दौर निकल रहा है परन्तु यह पूर्ण सच नहीं है। अभी भी आधे से अधिक उद्योग मंदी के शिकार रहेगे।

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